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==भागवत पुराण==
 
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भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है । इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवत भी कहते हैं । (यह [[भगवद् गीता]] से भिन्न ग्रन्थ है ।) इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है जिसमे कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है । इसके रचयिता [[वेदव्यास]] हैं ।
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भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है । इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवत भी कहते हैं । (यह [[भगवद् गीता]] से भिन्न ग्रन्थ है ।) इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है जिसमे कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है । इसके रचयिता [[वेदव्यास]] हैं । पुराणों के क्रम में भागवत पुराण पांचवां स्थान है। पर लोकप्रियता की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रसिद्ध है। वैष्णव 12 स्कंध, 335 अध्याय और 18 हजार श्लोकों के इस पुराण को महापुराण मानते हैं। यह भक्तिशाखा का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है और आचार्यों ने इसकी अनेक टीकांए की है। कृष्ण-भक्ति का यह आगार है। साथ ही उच्च दार्शनिक विचारों की भी इसमें प्रचुरता है। परवर्ती कृष्ण-काव्य की आराध्या '[[राधा]]' का उल्लेख भागवत में नहीं मिलता।  इस [[पुराण]] का पूरा नाम 'श्रीमद् भागवत पुराण' है।
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कुछ लोग इसे महापुराण न मानकर 'देवी-भागवत' को महापुराण मानते है। वे इसे उपपुराण बताते हैं।  पर बहुसंख्यक मत इस पक्ष में नहीं हैं। भागवत के रचनाकाल के संबंध में भी विवाद है। [[दयानंद सरस्वती]] ने इसे तेरहवीं शताब्दी की रचना बताया है, पर अधिकांश विद्वान् इसे छठी शताब्दी का ग्रंथ मानते हैं।  इसे किसी दाक्षिणात्य विद्वान् की रचना माना जाता है। भागवत पुराण का दसवां स्कंध भक्तों में विशेष प्रिय है।

१३:४६, २६ जून २००९ का अवतरण

भागवत पुराण

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है । इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवत भी कहते हैं । (यह भगवद् गीता से भिन्न ग्रन्थ है ।) इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है जिसमे कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है । इसके रचयिता वेदव्यास हैं । पुराणों के क्रम में भागवत पुराण पांचवां स्थान है। पर लोकप्रियता की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रसिद्ध है। वैष्णव 12 स्कंध, 335 अध्याय और 18 हजार श्लोकों के इस पुराण को महापुराण मानते हैं। यह भक्तिशाखा का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है और आचार्यों ने इसकी अनेक टीकांए की है। कृष्ण-भक्ति का यह आगार है। साथ ही उच्च दार्शनिक विचारों की भी इसमें प्रचुरता है। परवर्ती कृष्ण-काव्य की आराध्या 'राधा' का उल्लेख भागवत में नहीं मिलता। इस पुराण का पूरा नाम 'श्रीमद् भागवत पुराण' है।


कुछ लोग इसे महापुराण न मानकर 'देवी-भागवत' को महापुराण मानते है। वे इसे उपपुराण बताते हैं। पर बहुसंख्यक मत इस पक्ष में नहीं हैं। भागवत के रचनाकाल के संबंध में भी विवाद है। दयानंद सरस्वती ने इसे तेरहवीं शताब्दी की रचना बताया है, पर अधिकांश विद्वान् इसे छठी शताब्दी का ग्रंथ मानते हैं। इसे किसी दाक्षिणात्य विद्वान् की रचना माना जाता है। भागवत पुराण का दसवां स्कंध भक्तों में विशेष प्रिय है।