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− | + | *कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं। | |
− | + | *इनका व्यक्तिवाचक नाम विष्णुगुप्त, स्थानीय नाम चाणक्य (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम कौटिल्य (कुटिल से) था। | |
− | + | *ये [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के प्रधानमन्त्री थे। | |
− | कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध | + | *इन्होंने 'अर्थशास्त्र' नामक एक ग्रन्थ की रचना की, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, इतिहास, आचरण शास्त्र, धर्म आदि पर भली भाँति प्रकाश डालता है। |
− | + | *'अर्थशास्त्र' [[मौर्य काल]] के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप को सर्वागं देखा जा सकता है। | |
− | राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ | + | *अर्थशास्त्र से धार्मिक जीवन पर भी काफ़ी प्रकाश पड़ता है। उस समय बहुत से देवताओं तथा देवियों की पूजा होती थी। न केवल बड़े [[देवता]]-देवी अपितु [[यक्ष]], गन्धर्व, पर्वत, नदी, वृक्ष, [[अग्नि]], पक्षी, सर्प, गाय आदि की भी पूजा होती थी। |
− | [[तक्षशिला]] की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था | + | *महामारी, पशुरोग, भूत, अग्नि, बाढ़, सूखा, अकाल आदि से बचने के लिए भी बहुत से धार्मिक कृत्य किये जाते थे। अनेक उत्सव , जादू टोने आदि का भी प्रचार था। |
+ | *कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार- राजा का मुख्य कर्तव्य था प्रजा द्वारा वर्णाश्रम धर्म और नैतिक आचरण का पालन कराना। | ||
+ | *चाणक्य राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचयिता एवं [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के प्रधान मन्त्री थे। | ||
+ | *चाणक्य का नाम संभवत उनके गोत्र का नाम 'चणक', पिता के नाम 'चणक' अथवा स्थान का नाम 'चणक' का परिवर्तित रूप रहा होगा। | ||
+ | *अर्थशास्त्र राजनीति का उत्कृट ग्रन्थ है, जिसने परवर्ती राजधर्म को प्रभावित किया। | ||
+ | *चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ 'चाणक्यनीति' भी प्रचलित है। | ||
+ | *चाणक्य ने अर्थशास्त्र में वार्ता ( अर्थशास्त्र ) तथा दण्डनीति ( राज्यशासन ) के साथ आन्वीक्षिकी (तर्कशास्त्र) तथा त्रयी (वैदिक ग्रन्थों) पर भी काफ़ी बल दिया है। | ||
+ | *अर्थशास्त्र के अनुसार यह राज्य का धर्म है कि वह देखे कि प्रजा वर्णाश्रम धर्म का 'उचित पालन करती है कि नहीं।<balloon title="'कौटिल्य' और 'अर्थशास्त्र'" style="color:blue">*</balloon> | ||
+ | *[[तक्षशिला]] की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था और जिसने [[चन्द्रगुप्त]] के साथ मिल के मौर्य साम्राज्य की नींव डाली। | ||
+ | *[[आयुर्वेद]] के महान विद्वान [[चरक]] ने भी [[तक्षशिला]] में ही शिक्षा ग्रहण की थी। | ||
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०६:२८, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
चाणक्य / कौटिल्य / Chanakya / Kautilya
- कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
- इनका व्यक्तिवाचक नाम विष्णुगुप्त, स्थानीय नाम चाणक्य (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम कौटिल्य (कुटिल से) था।
- ये चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे।
- इन्होंने 'अर्थशास्त्र' नामक एक ग्रन्थ की रचना की, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, इतिहास, आचरण शास्त्र, धर्म आदि पर भली भाँति प्रकाश डालता है।
- 'अर्थशास्त्र' मौर्य काल के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप को सर्वागं देखा जा सकता है।
- अर्थशास्त्र से धार्मिक जीवन पर भी काफ़ी प्रकाश पड़ता है। उस समय बहुत से देवताओं तथा देवियों की पूजा होती थी। न केवल बड़े देवता-देवी अपितु यक्ष, गन्धर्व, पर्वत, नदी, वृक्ष, अग्नि, पक्षी, सर्प, गाय आदि की भी पूजा होती थी।
- महामारी, पशुरोग, भूत, अग्नि, बाढ़, सूखा, अकाल आदि से बचने के लिए भी बहुत से धार्मिक कृत्य किये जाते थे। अनेक उत्सव , जादू टोने आदि का भी प्रचार था।
- कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार- राजा का मुख्य कर्तव्य था प्रजा द्वारा वर्णाश्रम धर्म और नैतिक आचरण का पालन कराना।
- चाणक्य राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचयिता एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मन्त्री थे।
- चाणक्य का नाम संभवत उनके गोत्र का नाम 'चणक', पिता के नाम 'चणक' अथवा स्थान का नाम 'चणक' का परिवर्तित रूप रहा होगा।
- अर्थशास्त्र राजनीति का उत्कृट ग्रन्थ है, जिसने परवर्ती राजधर्म को प्रभावित किया।
- चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ 'चाणक्यनीति' भी प्रचलित है।
- चाणक्य ने अर्थशास्त्र में वार्ता ( अर्थशास्त्र ) तथा दण्डनीति ( राज्यशासन ) के साथ आन्वीक्षिकी (तर्कशास्त्र) तथा त्रयी (वैदिक ग्रन्थों) पर भी काफ़ी बल दिया है।
- अर्थशास्त्र के अनुसार यह राज्य का धर्म है कि वह देखे कि प्रजा वर्णाश्रम धर्म का 'उचित पालन करती है कि नहीं।<balloon title="'कौटिल्य' और 'अर्थशास्त्र'" style="color:blue">*</balloon>
- तक्षशिला की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिल के मौर्य साम्राज्य की नींव डाली।
- आयुर्वेद के महान विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी।