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==यमुना के घाट / Ghats of Yamuna==
 
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मथुरा में [[यमुना|श्रीयमुना]] अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार [[अविमुक्ततीर्थ]], [[गुह्म तीर्थ]], [[प्रयाग तीर्थ]], [[कनखल|कनखल तीर्थ]], [[तिन्दुक|तिन्दुक तीर्थ]], [[सूर्य तीर्थ]], [[बटस्वामीतीर्थ|बटस्वामी तीर्थ]], [[ध्रुव तीर्थ]], [[बोधि तीर्थ]], [[ऋषितीर्थ|ऋषि तीर्थ]], [[मोक्ष तीर्थ]], [[कोटि तीर्थ]]– ये बारह घाट हैं ।  
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मथुरा में [[यमुना|श्रीयमुना]] अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार अविमुक्ततीर्थ, गुह्म तीर्थ, प्रयाग तीर्थ, कनखल तीर्थ, तिन्दुक तीर्थ, सूर्य तीर्थ, बटस्वामी तीर्थ, ध्रुव तीर्थ, बोधि तीर्थ, ऋषि तीर्थ, मोक्ष तीर्थ, कोटि तीर्थ– ये बारह घाट हैं ।  
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भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज [[प्रयाग]] यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् [[कृष्ण|श्रीकृष्ण ]]की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।
 
भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज [[प्रयाग]] यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् [[कृष्ण|श्रीकृष्ण ]]की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।
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'''[[विश्राम घाट]] के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैं'''–[[नवतीर्थ]], (असी तीर्थ) [[संयमन तीर्थ]], [[धारापतन तीर्थ]], [[नागतीर्थ]], [[घण्टाभरणक तीर्थ]], [[ब्रह्मतीर्थ]], [[सोमतीर्थ]], [[सरस्वती पतनतीर्थ]], [[चक्रतीर्थ]], [[दशाश्वमेध तीर्थ]], [[विघ्नराज तीर्थ]], [[कोटितीर्थ]-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध [[असिकुण्ड]] है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।  
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'''[[विश्राम घाट]] के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैं'''नवतीर्थ, (असी तीर्थ) संयमन तीर्थ, धारापतन तीर्थ, नागतीर्थ, घण्टाभरणक तीर्थ, ब्रह्मतीर्थ, सोमतीर्थ, सरस्वती पतनतीर्थ, चक्रतीर्थ, दशाश्वमेध तीर्थ, विघ्नराज तीर्थ, कोटितीर्थ-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध [[असिकुण्ड]] है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।  
 
 
  
 
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११:१८, २९ सितम्बर २००९ का अवतरण


यमुना के घाट / Ghats of Yamuna

मथुरा में श्रीयमुना अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार अविमुक्ततीर्थ, गुह्म तीर्थ, प्रयाग तीर्थ, कनखल तीर्थ, तिन्दुक तीर्थ, सूर्य तीर्थ, बटस्वामी तीर्थ, ध्रुव तीर्थ, बोधि तीर्थ, ऋषि तीर्थ, मोक्ष तीर्थ, कोटि तीर्थ– ये बारह घाट हैं ।

भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज प्रयाग यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।

केशी घाट, वृन्दावन

विश्राम घाट के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैंनवतीर्थ, (असी तीर्थ) संयमन तीर्थ, धारापतन तीर्थ, नागतीर्थ, घण्टाभरणक तीर्थ, ब्रह्मतीर्थ, सोमतीर्थ, सरस्वती पतनतीर्थ, चक्रतीर्थ, दशाश्वमेध तीर्थ, विघ्नराज तीर्थ, कोटितीर्थ-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध असिकुण्ड है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।