भद्रवन
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श्रीभद्रवन / Bhadravan
हे भद्रस्वरूप भद्रवन ! आप सर्वदा सबका कल्याणकारी तथा अमग्ङल नाश करनेवाले हो, आपको पुन: पुन: नमस्कार है । [१] नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में यमुना के उस पार यह लीलास्थली है । यह श्रीकृष्ण और श्रीबलराम के गोचारण का स्थान है । श्रीबलभद्र के नामानुसार इस वन का नाम भद्रवन पड़ा है । यहाँ भद्रसरोवर और गोचारण स्थल दर्शनीय हैं ।
भद्रसरोवर
हे भद्र सरोवर ! हे तीर्थराज ! आपको नमस्कार है । आप यज्ञ-स्वरूप हैं तथा अखण्ड राज्यपद को देने वाले हैं । इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव प्राप्त करता है । तथा अन्त में श्रीकृष्ण-बलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है । [२] इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव-सुखभोग कर अन्त में श्रीकृष्ण-श्रीबलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है ।
टीका-टिप्पणी
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