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जिस कतरे पर यह मस्ज़िद बनी है वह आयताकार (104’ X 653’) आधार का है । इसके मध्य में उभरी हुई आयताकार (172’ X 86’) खुली छत है जिसके ऊपर मस्ज़िद (172’ X 60’) निर्मित है । मस्ज़िद के ऊपर तीन सकन्द गुम्बद हैं जिनके ऊपर कमलाकार कलश बने हैं । मध्य-स्थित गुम्बद आकार में दोनों गुम्बदों से बड़ा है । अग्रभाग के अन्त में छोटी गुम्बदीय छतरियाँ हैं जिन्हें हिन्दु वास्तुकार ने बनाया है । अग्रभाग को तीन मेहराबों से समाविष्ट किया है जहाँ मध्य में ऊँचा पिश्ताक़ है जिसे पुष्प अभिप्रायों व सरू के पेड़ों के चित्रों से सजाया गया है । अग्रभाग में पारसी अभिलेखों के साथ ‘अल्लाह’ के निन्यानवे नाम लिखे हैं । चार 132 फीट ऊँचे मिनार व अग्रभाग कभी बहुरंगी मीनाकार खपड़ों से सुसज्जित थे । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है ।  
 
जिस कतरे पर यह मस्ज़िद बनी है वह आयताकार (104’ X 653’) आधार का है । इसके मध्य में उभरी हुई आयताकार (172’ X 86’) खुली छत है जिसके ऊपर मस्ज़िद (172’ X 60’) निर्मित है । मस्ज़िद के ऊपर तीन सकन्द गुम्बद हैं जिनके ऊपर कमलाकार कलश बने हैं । मध्य-स्थित गुम्बद आकार में दोनों गुम्बदों से बड़ा है । अग्रभाग के अन्त में छोटी गुम्बदीय छतरियाँ हैं जिन्हें हिन्दु वास्तुकार ने बनाया है । अग्रभाग को तीन मेहराबों से समाविष्ट किया है जहाँ मध्य में ऊँचा पिश्ताक़ है जिसे पुष्प अभिप्रायों व सरू के पेड़ों के चित्रों से सजाया गया है । अग्रभाग में पारसी अभिलेखों के साथ ‘अल्लाह’ के निन्यानवे नाम लिखे हैं । चार 132 फीट ऊँचे मिनार व अग्रभाग कभी बहुरंगी मीनाकार खपड़ों से सुसज्जित थे । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है ।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
यह मस्ज़िद जामा (धर्मसंघी) मस्ज़िद के नाम से विख्यात है जिसे मथुरा में मुग़ल शासन के राज्यपाल अब्दुल नबी ख़ान ने बनवाया था । यह मस्ज़िद मन्दिर के मलबे से निर्मित प्रतीत होती है । हिन्दू धार्मिक नगर में निर्मित यह सबसे बड़ी मुस्लिम इमारत है ।
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यह मस्ज़िद जामा (धर्मसंघी) मस्ज़िद के नाम से विख्यात है जिसे मथुरा में [[मुग़ल]] शासन के राज्यपाल अब्दुल नबी ख़ान ने बनवाया था । यह मस्ज़िद मन्दिर के मलबे से निर्मित प्रतीत होती है । हिन्दू धार्मिक नगर में निर्मित यह सबसे बड़ी मुस्लिम इमारत है ।
  
  

०७:३५, ५ फ़रवरी २०१० का अवतरण

अब्दुलनबी खान मस्ज़िद / Abdulnabi Khan Masjid

यह मस्ज़िद चौक बाज़ार, राम दास मण्डी, मथुरा में स्थित है । इसका निर्माण 1071 हिजरी (1661 ई.) में हुआ था ।

वास्तुसूचना

जिस कतरे पर यह मस्ज़िद बनी है वह आयताकार (104’ X 653’) आधार का है । इसके मध्य में उभरी हुई आयताकार (172’ X 86’) खुली छत है जिसके ऊपर मस्ज़िद (172’ X 60’) निर्मित है । मस्ज़िद के ऊपर तीन सकन्द गुम्बद हैं जिनके ऊपर कमलाकार कलश बने हैं । मध्य-स्थित गुम्बद आकार में दोनों गुम्बदों से बड़ा है । अग्रभाग के अन्त में छोटी गुम्बदीय छतरियाँ हैं जिन्हें हिन्दु वास्तुकार ने बनाया है । अग्रभाग को तीन मेहराबों से समाविष्ट किया है जहाँ मध्य में ऊँचा पिश्ताक़ है जिसे पुष्प अभिप्रायों व सरू के पेड़ों के चित्रों से सजाया गया है । अग्रभाग में पारसी अभिलेखों के साथ ‘अल्लाह’ के निन्यानवे नाम लिखे हैं । चार 132 फीट ऊँचे मिनार व अग्रभाग कभी बहुरंगी मीनाकार खपड़ों से सुसज्जित थे । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है ।

इतिहास

यह मस्ज़िद जामा (धर्मसंघी) मस्ज़िद के नाम से विख्यात है जिसे मथुरा में मुग़ल शासन के राज्यपाल अब्दुल नबी ख़ान ने बनवाया था । यह मस्ज़िद मन्दिर के मलबे से निर्मित प्रतीत होती है । हिन्दू धार्मिक नगर में निर्मित यह सबसे बड़ी मुस्लिम इमारत है ।