"अभिमन्यु" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{menu}}<br /> | {{menu}}<br /> | ||
+ | ==अभिमन्यु / Abhimanyu== | ||
+ | *[[महाभारत]] के एक महत्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पाँच पांडवों में से [[अर्जुन]] के पुत्र थे। उनका छल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है। अभिमन्यु महाभारत के नायक अर्जुन और [[सुभद्रा]], जो [[बलराम]] व [[कृष्ण]] की बहन थीं, के पुत्र थे। उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है। | ||
+ | *धारणा है की समस्त देवताओं ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा की वे अपने पुत्र का वियोग सहन नहीं कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए। | ||
+ | *अभिमन्यु का बाल्यकाल अपनी ननिहाल [[द्वारका]] में ही बीता। उनका विवाह महाराज [[विराट]] की पुत्री [[उत्तरा]] से हुआ। | ||
+ | *अभिमन्यु के पुत्र [[परीक्षित]], जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, [[कुरुवंश]] के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने युद्ध की समाप्ति के पश्चात [[पांडव]] वंश को आगे बढ़ाया। अभिमन्यु एक असाधारण योद्धा थे। उन्होंने [[कौरव]] पक्ष की व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था, के सात में से छह द्वार भेद दिए थे। | ||
+ | *अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने की विधि सुना रहे थे, अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जान लिया था पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे। अभिमन्यु की म्रृत्यु का कारण [[जयद्रथ]] था जिसने अन्य पांडवों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। संभवतः इसी का लाभ उठा कर व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारथी युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिस कारण उसने वीरगति प्राप्त की। | ||
+ | *अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये अर्जुन ने सूर्यास्त से पहले ही जयद्रथ के वध की शपथ ली थी। यहाँ [[कृष्ण]] के चमत्कार से अर्जुन जयद्रथ का वध किया। | ||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
[[श्रेणी:कोश]] | [[श्रेणी:कोश]] | ||
[[category:महाभारत]] | [[category:महाभारत]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
[[en:Abhimanyu]] | [[en:Abhimanyu]] |
०३:१९, १६ सितम्बर २००९ का अवतरण
अभिमन्यु / Abhimanyu
- महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पाँच पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। उनका छल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है। अभिमन्यु महाभारत के नायक अर्जुन और सुभद्रा, जो बलराम व कृष्ण की बहन थीं, के पुत्र थे। उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है।
- धारणा है की समस्त देवताओं ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा की वे अपने पुत्र का वियोग सहन नहीं कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए।
- अभिमन्यु का बाल्यकाल अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता। उनका विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ।
- अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित, जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने युद्ध की समाप्ति के पश्चात पांडव वंश को आगे बढ़ाया। अभिमन्यु एक असाधारण योद्धा थे। उन्होंने कौरव पक्ष की व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था, के सात में से छह द्वार भेद दिए थे।
- अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने की विधि सुना रहे थे, अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जान लिया था पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे। अभिमन्यु की म्रृत्यु का कारण जयद्रथ था जिसने अन्य पांडवों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। संभवतः इसी का लाभ उठा कर व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारथी युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिस कारण उसने वीरगति प्राप्त की।
- अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये अर्जुन ने सूर्यास्त से पहले ही जयद्रथ के वध की शपथ ली थी। यहाँ कृष्ण के चमत्कार से अर्जुन जयद्रथ का वध किया।