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आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक ज़िला शहर व तहसील है । आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में [[यमुना]] नदी के तट पर स्थित है । समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। यह उत्तर में [[मथुरा]], दक्षिण में धौलपुर, पूर्व में फ़िरोज़ाबाद, शिकोहाबाद, दक्षिणपूर्व में फ़तेहाबाद और पश्चिम में [[भरतपुर]] से घिरा हुआ है । आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है । [[ताजमहल]] आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है । आगरा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसके प्रमाण यह अपने चारों ओर समेटे हुए है । इतिहास मे पहला ज़िक्र आगरा का [[महाभारत]] के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था । कहते हैं कि पहले यह नगर आर्य ग्रह के नाम से भी जाना जाता था । तौलमी ( टॉल्मी, Ptolmi 2nd century A.D.) पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया ।
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आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक ज़िला शहर व तहसील है । आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में [[यमुना]] नदी के तट पर स्थित है । समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब 171 मीटर (561 फ़ीट) है। यह उत्तर में [[मथुरा]], दक्षिण में धौलपुर, पूर्व में फ़िरोज़ाबाद, शिकोहाबाद, दक्षिणपूर्व में फ़तेहाबाद और पश्चिम में [[भरतपुर]] से घिरा हुआ है । आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है । [[ताजमहल]] आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है । आगरा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसके प्रमाण यह अपने चारों ओर समेटे हुए है । इतिहास मे पहला ज़िक्र आगरा का [[महाभारत]] के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था । कहते हैं कि पहले यह नगर आर्य ग्रह के नाम से भी जाना जाता था । तौलमी ( [[टॉल्मी]], Ptolmi 2nd century A.D.) पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया ।
 
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११:०४, ६ अगस्त २००९ का अवतरण


आगरा / Agra

आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक ज़िला शहर व तहसील है । आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है । समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब 171 मीटर (561 फ़ीट) है। यह उत्तर में मथुरा, दक्षिण में धौलपुर, पूर्व में फ़िरोज़ाबाद, शिकोहाबाद, दक्षिणपूर्व में फ़तेहाबाद और पश्चिम में भरतपुर से घिरा हुआ है । आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है । ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है । आगरा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसके प्रमाण यह अपने चारों ओर समेटे हुए है । इतिहास मे पहला ज़िक्र आगरा का महाभारत के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था । कहते हैं कि पहले यह नगर आर्य ग्रह के नाम से भी जाना जाता था । तौलमी ( टॉल्मी, Ptolmi 2nd century A.D.) पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया ।


ऐतिहासिक तथ्य

मुगलकाल के इस प्रसिद्ध नगर की नींव दिल्ली के सुलतान सिकंदरशाह लोदी ने 1504 ई0 में डाली थी। इसने अपने शासनकाल में होने वाले विद्रोहों को भली भांति दबाने के लिए वर्तमान आगरा के स्थान पर एक सैनिक छावनी बनाई थी जिसके द्वारा उसे इटावा, बयाना, कोल, ग्वालियर और धौलपुर के विद्रोहियों को दबाने में सहायता मिली। मख़जन-ए-अफगान के लेखक के अनुसार सुलतान सिकंदर ने कुछ चतुर आयुक्तों को दिल्ली, इटावा और चांदवर के आस-पास के इलाके में किसी उपयुक्त स्थान पर सैनिक छावनी बनाने का काम सौंपा था और उन्होंने काफी छानबीन के पश्चात् इस स्थान (आगरा) को चुना था। अब तक आगरा या अग्रवन केवल एक छोटा-सा गांव था जिसे ब्रजमंडल के चौरासी वनों में अग्रणी माना जाता था। शीघ्र ही इसके स्थान पर एक भव्य नगर खड़ा हो गया। कुछ दिन बाद सिंकदर भी यहां आकर रहने लगा। तारीखदाऊदी के लेखक के अनुसार सिकंदर प्राय: आगरा ही में रहा करता था।


1505 ई0 में रविवार, जुलाई 7 को आगरा में एक विकट भूकंप आया जिसने एक वर्ष पहले ही बसे हुए नगर के अनेक सुंदर भवनों को धराशायी कर दिया। मख़जन के लेखक के अनुसार भूंकप इतना भयानक था कि उसके धक्के से इमारतों का तो कहना ही क्या, पहाड़ तक गिर गए थे और प्रलय का सा दृश्य दिखाई देने लगा था। इसके पश्चात् आगरा की उन्नति अकबर के समय में प्रारंभ हुई। 1565 ई0 में उसने यहां लाल पत्थर का किला बनवाना शुरू किया जो आठ वर्षों में तैयार हुआ। अब तक इसके स्थान पर ईटों का बना हुआ एक छोटा-सा किला था जो खंडहर हो चला था। अकबर के किले को बनाने वाला तीन हजारी मनसबदार कासिम खां था और इसके निर्माण का व्यय 35 लाख रूपया था। किले की नींव भूमिगत पानी तक गहरी है। इसके पत्थरों की मसाले के साथ-साथ लोहे के छल्लों से भी जोड़ कर सुदृढ़ बनाया गया है। अकबर ने अपने शासन के प्रारंभ में ही फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया था किंतु 1586 ई0 में अकबर पुन: अपनी राजधानी आगरा ले आया था। जहाँगीर के राज्यकाल में और शाहजहाँ के शासन के प्रारंभिक वर्षों में आगरा में ही राजधानी रही। इस जमाने में यहां किले की अंदर की सुंदर इमारतें—मोती मसजिद और ऐतमाद्दौला का मकबरा (जिसका निर्माण नूरजहां ने करवाया था) बना। शाहजहां ने आगरा को छोड़कर दिल्ली में अपनी राजधानी बनाई। इसी समय आगरा में विश्वविश्रुत ताजमहल का निर्माण हुआ।


आगरा में मुग़ल वास्तुकला के पूर्व और उत्तरकालीन दोनों रूपों के उदाहरण मिलते हैं। अकबर के समय तक जो इमारतें मुगलों ने बनवाईं वे विशाल, भव्य और विस्तीर्ण हैं, जैसे फतेहपुर सीकरी के भवन या दिल्ली में हुमायुँ का मकबरा। नूरजहां के बनवाए हुए ऐतमाद्दौला के मकबरे में पहली बार पत्थर पर बारीक नक्काशी और पच्चीकारी का काम किया गया। उस कला का जन्म हुआ जो विकसित होते हुए ताजमहल के अभूतपूर्व वास्तुशिल्प में प्रस्फुटित हुई। ताजमहल में भव्य तथा सूक्ष्म दोनों कलापक्षों का अद्भुत मेल है जो उसे संसार की सर्वश्रेष्ठ इमारतों में प्रमुख स्थान दिलाता है।


शाहजहाँ के दिल्ली चले जाने के पश्चात आगरा फिर कभी मुगलों की राजधानी न बन सका यद्यपि यह नगर मुगलकाल का एक प्रमुख नगर तो अंत तक बना ही रहा।