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संतन को कहा सीकरी सो काम ? | संतन को कहा सीकरी सो काम ? | ||
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आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम | आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम | ||
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जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम | जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम | ||
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कुंभनदास लाल गिरिधर बिनु और सबै बेकाम । | कुंभनदास लाल गिरिधर बिनु और सबै बेकाम । | ||
इनका कोई ग्रंथ न तो प्रसिद्ध है और न अब तक मिला है । | इनका कोई ग्रंथ न तो प्रसिद्ध है और न अब तक मिला है । |
१०:५९, १२ जून २००९ का अवतरण
कुंभनदास
कुंभनदास भी अष्टछाप के एक कवि थे और परमानंद जी के ही समकालीन थे । ये पूरे विरक्त और धन, मान, मर्यादा की इच्छा से कोसों दूर थे । एक बार अकबर बादशाह के बुलाने पर इन्हें फतेहपुर सीकरी जाना पड़ा जहाँ इनका बड़ा सम्मान हुआ । पर इसका इन्हें बराबर खेद ही रहा, जैसा कि इस पद से व्यंजित होता है -
संतन को कहा सीकरी सो काम ?
आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम
जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम
कुंभनदास लाल गिरिधर बिनु और सबै बेकाम ।
इनका कोई ग्रंथ न तो प्रसिद्ध है और न अब तक मिला है ।