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'''दोहा'''
 
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श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
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<poem>श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
 
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
 
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
 
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
 
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
 
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
 
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
 
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०६:२३, ९ फ़रवरी २०१० का अवतरण

श्री गणेशजी की आरती / Ganesh Arti

गणेश
Ganesha

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जा की पार्वती, पिता महादेवा ॥

एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।|

अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया|
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।|

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥


दोहा

श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥