"गीता 10:12-13" के अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | भगवान् की विभूति और योग को तत्व से जानना भगवत्प्राप्ति में परम सहायक है, यह बात समझकर अब सात | + | भगवान् की विभूति और योग को तत्व से जानना भगवत्प्राप्ति में परम सहायक है, यह बात समझकर अब सात श्लोकों में <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> पहले भगवान् की स्तुति करके भगवान् से उनकी योग शक्ति और विभूतियों का विस्तार सहित वर्णन करने के लिये प्रार्थना करते हैं- |
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− | '''अर्जुन उवाच | + | '''अर्जुन उवाच'''<br/> |
'''परं ब्रह्रा परं धाम पवित्रं परमं भवान् ।'''<br/> | '''परं ब्रह्रा परं धाम पवित्रं परमं भवान् ।'''<br/> | ||
− | ''' | + | '''पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम् ।।12।।'''<br/> |
− | ''' | + | '''आहुस्त्वामृषय: सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा ।'''<br/> |
'''असितो देवलो व्यास: स्वयं चैव ब्रवीषि मे ।।13।।''' | '''असितो देवलो व्यास: स्वयं चैव ब्रवीषि मे ।।13।।''' | ||
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'''अर्जुन बोले-''' | '''अर्जुन बोले-''' | ||
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− | आप परम | + | आप परम <balloon link="index.php?title=ब्रह्मा " title="सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य सृष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">ब्रह्मा</balloon>, परम धाम और परम पवित्र हैं, क्योंकि आपको सब ऋषिगण सनातन, दिव्य पुरुष एवं देवों का भी आदि देव, अजन्मा और सर्वव्यापी कहते हैं । वैसे ही देवर्षि <balloon link="index.php?title=नारद " title="नारद मुनि, हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों मे से एक हैं । | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">नारद</balloon> तथा [[असित]] और [[देवल ऋषि]] तथा महर्षि <balloon link="index.php?title=व्यास " title="भगवान व्यास भगवान नारायण के ही कलावतार थे। व्यास जी के पिता का नाम पाराशर ऋषि तथा माता का नाम सत्यवती था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">व्यास</balloon> भी कहते हैं और स्वयं आप भी मेरे प्रति कहते हैं ।।12-13।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | ''' | + | '''Arjuna said:''' |
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− | You are the transcendent eternal, the supreme abode and the greatest purifier; all the seers speak of you as the eternal divine purusa, the primal deity, unborn and all pervading. Likewise speak the celestial sage | + | You are the transcendent eternal, the supreme abode and the greatest purifier; all the seers speak of you as the eternal divine purusa, the primal deity, unborn and all pervading. Likewise speak the celestial sage Narada, the sages Asita and Devala and the great sage Vyasa; and yourself too proclaim this to me. (12,13) |
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− | भवान् = आप; परम् = परम; परमम् = परम; पवित्रम् = पवित्र (हैं); (यत:) = क्योंकि; त्वाम् = आपको; ऋषय: = ऋषिजन; शाश्वतम् = सनातन; दिव्यम् = दिव्य; | + | भवान् = आप; परम् = परम; परमम् = परम; पवित्रम् = पवित्र (हैं); (यत:) = क्योंकि; त्वाम् = आपको; ऋषय: = ऋषिजन; शाश्वतम् = सनातन; दिव्यम् = दिव्य; पुरुषम् = पुरुष(एवं); आदिदेवम् = देवोंका भी आदिदेव; अजम् = अजन्मा(और); विभुम् = सर्वव्यापी; |
आहु: = कहते हैं; तथा = वैसे ही देवर्षि: = देवऋषि; नारद: = नारद(तथा); देवल: = देवलऋषि(तथा); व्यास: = महर्षि व्यास; स्वयम् = स्वयम् = आप; एव = भी; मे = मेरे (प्रति); ब्रवीषि = कहते हैं | आहु: = कहते हैं; तथा = वैसे ही देवर्षि: = देवऋषि; नारद: = नारद(तथा); देवल: = देवलऋषि(तथा); व्यास: = महर्षि व्यास; स्वयम् = स्वयम् = आप; एव = भी; मे = मेरे (प्रति); ब्रवीषि = कहते हैं | ||
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०६:११, ५ जुलाई २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-12, 13 / Gita Chapter-10 Verse-12, 13
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