गीता 10:21

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गीता अध्याय-10 श्लोक-21 / Gita Chapter-10 Verse-21


आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान् ।
मरीचिर्मरूतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी ।।21।।



मैं <balloon link="index.php?title=अदिति" title="अदिति दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और कश्यप ॠषि को ब्याही थीं । इनको देवमाता कहा गया है।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अदिति</balloon> के बारह पुत्रों में <balloon link="index.php?title=विष्णु " title="सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान श्री विष्णु हैं। यह सम्पूर्ण विश्व भगवान विष्णु की शक्ति से ही संचालित है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">विष्णु</balloon> और ज्योतियों में किरणों वाला <balloon link="index.php?title=सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon> हूँ तथा मैं उनचास वायु देवताओं में <balloon link="index.php?title=मरीचि" title="यह दक्ष का दामाद और शंकर का साढू था। इसकी पत्नि दक्ष-कन्या संभूति थी। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">मरीचि</balloon> नामक वायु देवता और नक्षत्रों का अधिपति <balloon link="index.php?title=चंद्र" title="पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">चन्द्रमा</balloon> हूँ ।।21।।

I am Visnu among the twelve sons of aditi, and the radiant sun among the luminaries; I am the glow of the maruts (the fortynine wind & gods)and the moon among the stars. (21)


आदित्यानाम् = अदिति के बारह पुत्रों में; विष्णु: = विष्णु अर्थात् वामन अवतार(और); ज्योतिषाम् = ज्योतियों में; अंशुमान् = किरणोंवाला; रवि: सूर्यहूं(तथा); अहम् = मैं(उन्चास); मरूताम् = वायु देवताओंमें; मरीचि: = मरीचिनामक वायुदेवता(और); नक्षत्राणाम् = नक्षत्रों में; शशी = (नक्षत्रों का अधिपति) चन्द्रमा अस्मि = हूं;



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

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