ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-11 श्लोक-2 / Gita Chapter-11 Verse-2
भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तशो मया ।
त्वत्त: कमलपत्राक्ष महात्म्यमपि चाव्ययम् ।।2।।
|
क्योंकि हे <balloon title="मधुसूदन, केशव, कमलनेत्र, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">कमलनेत्र</balloon> ! मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है ।।2।।
|
For, Krishna, I have heard from you in detail an account of the evolution and dissolution of being, and also your immortal glory. (2)
|
हि = क्योंकि; कमलपत्राक्ष = हे कमलनेत्र; मया = मैंने; भूतानाम् = भूतोंकी; भवाप्ययौ = उत्पत्ति और प्रलय; त्वत्त: = आपसे; विस्तरश: = विस्तारपूर्वक; श्रुतौ = सुने हैं; च = तथा(आपका); अव्ययम् = अविनाशी; महात्म्यम् = प्रभाव; अपि = भी(सुना है)
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|
|
महाभारत |
---|
| महाभारत संदर्भ | |  | | महाभारत के पर्व | |
|
|