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गीता अध्याय-11 श्लोक-4 / Gita Chapter-11 Verse-4
मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो ।
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयात्मानमव्ययम् ।।4।।
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हे प्रभो ! यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है- ऐसा आप मानते हैं, तो हे <balloon title="मधुसूदन, केशव, योगेश्वर, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">योगेश्वर</balloon> ! उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइये ।।4।।
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Krishna, if you think that it can be seen by me, them, O lord of yoga, reveal to me your imperishable form. (4)
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तत् = वह(आपकारूप); द्रष्टुम् = देखा जाना; शक्यम् = शक्त है; इति = ऐसा; मन्यसे = मानते हैं; तत: = तो; योगेश्वर = हे योगेश्वर; त्वम् = आप(अपने); अव्ययम् = अविनाशी; आत्मानम् = स्वरूपका; दर्शय = दर्शन कराइये
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