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गीता अध्याय-11 श्लोक-7 / Gita Chapter-11 Verse-7
इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम् ।
मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टुमिच्छसि ।।7।।
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हे <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! अब इस मेरे शरीर में एक जगह स्थित चराचर सहित सम्पूर्ण जगत् को देख तथा और भी जो कुछ देखना चाहता हो सो देख ।।7।।
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Arjuna, behold as concentrated within this body of mine the entire creation consisting of both animate and inanimate beings, and whatever else you desire to see. (7)
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गुडाकेश = हे अर्जुन; अद्य = अब; इह = इस; मम = मेरे; देहे = शरीरमें; एकस्थम् = एक जगह स्थित हुए; सचराचरम् = चराचरसहित; कृत्स्त्रम् = संपूर्ण; जगत् = जगत् को; अन्यत् = और; च = भी; यत् =जो(कुछ); द्रष्टुम् = देखना; इच्छसि = चाहता है(सो देख)
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