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गीता अध्याय-17 श्लोक-6 / Gita Chapter-17 Verse-6
कर्षयन्त: शरीरस्थं भूतग्राममचेतस: ।
मां चैवान्त:शरीरस्थं तान्विद्ध्यवासुरनिश्चयान् ।।6।।
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जो शरीर रूप से स्थित भूत समुदाय को और अन्त:करण में स्थित मुझ परमात्मा को भी कृश करने वाले हैं, उन अज्ञानियों को तू आसुर- स्वभाव वाले जान ।।6।।
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And who emaciate the elements constituting their body as well as Me, the supreme Spirit, dwelling in their heart,—know these senseless people to have a demoniac disposition (6)
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शरीरस्थम् = शरीररूप से स्थित ; च = और ; अन्त:शरीरस्थम् = अन्त:करण में स्थित ; माम् = मुझ अन्तर्यामीको ; एव = भी ; कर्षयन्त: = कृश करने वाले हैं ; भूतग्रामम् = भूतसमुदाय को ; तान् = उन ; अचेतस: = अज्ञानियों को (तूं ) ; आसुरनिश्र्चयान् = आसुरीस्वभाव वाले ; विद्धि = जान
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