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− | EFoods which are bitter, acid, salty, overhot, pungent, dry and burning, and which cause suffering, grief and sickness, are dear to the Rajasika type of men.(9)
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१२:३१, २४ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-9 / Gita Chapter-17 Verse-9
प्रसंग-
ग्रहण करने योग्य सात्त्विक पुरूषों के आहार का वर्णन करके अब अगले दो श्लोकों में त्याग करने योग्य राजस और तामस पुरूषों के आहार का वर्णन करते हैं
कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिन: ।
आहारा राजसस्येष्टा दु:खशोकामयप्रदा: ।।9।।
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कड़वे, खट्टे, लवण युक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दु:ख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पत्र करने वाले आहार अर्थात् भोजन करने के पदार्थ राजस पुरूष को प्रिय होते है ।।9।।
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Foods which are bitter, acid, salty, overhot, pungent, dry and burning, and which cause suffering, grief and sickness, are dear to the Rajasika type of men.(9)
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कटु = कडुवे ; अम्ल = खट्टे ; लबण = लवणयुक्त (और) ; अत्युष्ण = अति गरम ; तीक्ष्ण = तीक्ष्ण ; रूक्ष = रूखे (और) ; विदाहिन: = दाहकारक (एवं) ; दु:खशोकामयप्रदा: = दु:ख चिन्ता और रोगों को उत्पन्न करने वाले ; आहारा: = आहार अर्थात् भोजन करने के पदार्थ ; राजसस्य = राजस पुरूष को ; इष्टा: = प्रिय होते हैं
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