"गीता 1:14" के अवतरणों में अंतर
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) |
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− | '''तत: | + | '''तत: श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।'''<br /> |
− | '''माधव: पाण्डवश्चैव | + | '''माधव: पाण्डवश्चैव दिव्यौ शख्ङौ प्रदध्मतु: ।।14।।''' |
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− | इसके अनन्तर सफेद घोडों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए | + | इसके अनन्तर सफेद घोडों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> | ||
+ | कृष्ण</balloon> महाराज और <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> | ||
+ | अर्जुन</balloon> ने भी अलौकिक शंख बजाये ।।14।। | ||
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− | + | On the other side, both Lord Krishna and Arjuna, stationed on a great chariot drawn by white horses, sounded their transcendental conchshells. | |
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१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-14 / Gita Chapter-1 Verse-14
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