ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ९: |
पंक्ति ९: |
| '''प्रसंग-''' | | '''प्रसंग-''' |
| ---- | | ---- |
− | अगले श्लोकों में 'आत्मा को मरने या मारनवाला मानना अज्ञान है', यह कहकर उसका समाधान करते हैं- | + | अगले श्लोकों में 'आत्मा को मरने या मारनेवाला मानना अज्ञान है', यह कहकर उसका समाधान करते हैं- |
| ---- | | ---- |
| <div align="center'> | | <div align="center'> |
पंक्ति २७: |
पंक्ति २७: |
| | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
| ---- | | ---- |
− | All these bodies pertaining to the imperishable, indefinable and eternal soul are spoken of as perishable; therefore, arjuna, fight. (18) | + | All these bodies pertaining to the imperishable, indefinable and eternal soul are spoken of as perishable; therefore, Arjuna, fight. (18) |
| |- | | |- |
| |} | | |} |
पंक्ति ५८: |
पंक्ति ५८: |
| </table> | | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
| + | __INDEX__ |
११:३७, १२ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-18 / Gita Chapter-2 Verse-18
प्रसंग-
अगले श्लोकों में 'आत्मा को मरने या मारनेवाला मानना अज्ञान है', यह कहकर उसका समाधान करते हैं-
अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ता: शरीरिण:।
अनाशिनोऽप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत ।।18।।
|
इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्मा के सब शरीर नाशवान् कहे गये हैं । इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन ! तू युद्ध कर ।।18।।
|
All these bodies pertaining to the imperishable, indefinable and eternal soul are spoken of as perishable; therefore, Arjuna, fight. (18)
|
अनाशिन: = नाशरहित ; अप्रमेयस्य = अप्रमेय ; नित्यस्य = नित्यस्वरूप ; शरीरिण: = जीवात्माके ; इमे = यह ; देहा: = सब शरीर ; अन्तवन्त: = नाशवान् ; उक्ता: = कहे गये हैं ; तस्मात् = इसलिये ; भारत = हे भरतवंशी अर्जुन (तूं) ; युध्यस्व = युद्ध कर ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|