ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-3 श्लोक-19 / Gita Chapter-3 Verse-19
प्रसंग-
पूर्व श्लोक में भगवान् ने जो यह बात कही कि आसक्ति से रहित होकर कर्म करने वाला मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है , उस बात को पुष्ट करने के लिये जनकादि का प्रमाण देकर पुन: अर्जुन के लिये कर्म करना उचित बतलाते हैं-
तस्मादसक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार ।
असक्तो ह्राचरन्कर्म परमाप्नोति पुरूष: ।।19।।
|
इसलिये तू निरन्तर आसक्ति से रहित होकर सदा कर्तव्य कर्म को भलीभाँति करता रह । क्योंकि आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है. ।।19।।
|
Therefore, go on efficiently doing your duty without attachment. doing work without attachment man attains the supreme(19)
|
तस्मात् = इससे (तूं) ; असक्त: = अनासक्त हुआ ; सततम् = निरन्तर ; कार्यम् = कर्तव्य ; कर्म = कर्मका ; समाचर = अच्छी प्रकार आचरण कर ; हि = क्योंकि ; असक्त: = अनासक्त ; पूरूष: = पुरूष ; कर्म = कर्म ; आचरन् = करता हुआ ; परम् = परमात्माको ; आप्रोति = प्राप्त होता है ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|