ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
गीता अध्याय-3 श्लोक-21 / Gita Chapter-3 Verse-21
प्रसंग-
इस प्रकार श्रेष्ठ महापुरुष के आचरणों को लोकसंग्रह में हेतु बतलाकर अब भगवान् तीन श्लोकों में अपना उदाहरण देकर वर्णाश्रम के अनुसार विहित कर्मों के करने की अवश्य-कर्तव्यता का प्रतिपादन करते हैं-
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरा जन: ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ।।21।।
|
श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करते हैं । वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है ।।21।।
|
For whatever a great man does, that very thing other men also do; whatever standard he sets up the generality of men follow the same.(21)
|
श्रेष्ठ: = श्रेष्ठ पुरुष ; यत् = जो ; यत् = जो ; अचरति = आचरण करता है ; इतर: = अन्य ; जन: = पुरुष (भी) ; तत् = उस ; तत् = उसके ; एव = ही (अनुसार बर्तते हैं) ; स: = वह पुरुष ; यत् = जो कुछ ; प्रमाणम् = प्रमाण ; कुरुते = कर देता है ; लोक: = लोग (भी) ; तत् = उसके ; अनुवर्तते = अनुसार बर्तते हैं ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|
|
महाभारत |
---|
| महाभारत संदर्भ | | | | महाभारत के पर्व | |
|
|