ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-3 श्लोक-36 / Gita Chapter-3 Verse-36
प्रसंग-
इस प्रकार अर्जुन के पूछने पर भगवान् श्रीकृष्ण कहने लगे-
अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरूष: ।
अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजित: ।।36।।
|
अर्जुन बोले-
हे कृष्ण ! तो फिर यह मनुष्य स्वयं न चाहता हुआ भी बलात्कार से लगाये हुए की भाँति किससे प्रेरित होकर पाप का आचरण करता है ? ।।36।।
|
Arjuna said:
Now impelled by what, Krishna, does this man commit sin even involuntarily, as though driven by force?(36)
|
वार्ष्णेंय = हे कृष्ण; अथ = फिर; अयम् = यह; पूरूष: = पुरूष; बलात् = बलात्कार से; नियोजित: = लगाये हुए के; इव = सदृश; अनिच्छन् =न चाहता हुआ; अपि = भी; केन = किससे; प्रयुक्त: = प्रेरा हुआ; पापम् = पापका; चरति = आचरण करता है।
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|