गीता 6:45
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− | योगभ्रष्ट की गति का विषय समाप्त करके, अब भगवान् योगी की महिमा कहते हुए अर्जुन को योगी बनने के लिये आज्ञा देते हैं- | + | योगभ्रष्ट की गति का विषय समाप्त करके, अब भगवान् योगी की महिमा कहते हुए [[अर्जुन]] को योगी बनने के लिये आज्ञा देते हैं- |
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− | परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाले योगी तो पिछले अनेक जन्मों के संस्कार बल से इसी जन्म में | + | परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाले योगी तो पिछले अनेक जन्मों के संस्कार बल से इसी जन्म में सिद्ध होकर सम्पूर्ण पापों से रहित हो फिर तत्काल ही परमगति को प्राप्त हो जाता है |
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11:18, 17 नवम्बर 2009 का संस्करण
गीता अध्याय-6 श्लोक-45 / Gita Chapter-6 Verse-45
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