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१२:४३, १७ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-7 श्लोक-21 / Gita Chapter-7 Verse-21
यो यो यां यां तनुं भक्त: श्रद्धयार्चितुमिच्छति ।
तस्य तस्याचलां श्रद्धा तामेव विदधाम्यहम् ।।21।।
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जो-जो सकाम भक्त जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ ।।21।।
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Whatever celestial form a devotee craving for some worldly object chooses to worship with reverence, I stabilize the faith of that particular devotee in that very form. (21)
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य: = जो ; य: = जो ; भक्त: = सकामी भक्त ; याम् = जिस ; याम् = जिस ; तनुम् = देवता के स्वरूप को ; श्रद्धया = श्रद्धा से ; अर्चितुम् = पूजना ; इच्छति = चाहता है ; तस्य = उस ; तस्य = उस भक्तकी ; अहम् = मैं ; ताम् = उस ही देवता के प्रति ; श्रद्धाम् = श्रद्धा को ; अचलाम् = स्थिर ; विदधामि = करता हूं
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