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१२:५१, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-14 / Gita Chapter-9 Verse-14
प्रसंग-
अब पूर्व श्लोक में वर्णित भगवत्प्रेमी भक्तों के भजन का प्रकार बतलाते हैं-
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रता: ।
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ।।14।।
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वे दृढ़ निश्चय वाले भक्त जन निरन्तर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिये यत्न करते हुए और मुझ को बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं ।।14।।
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Constantly chanting my names and glories and striving for my realization , and bowing again and again to me, those devotees of firm resolve, ever united with me through meditation, worship me with single-minded devotion. (14)
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द्य्ढव्रता: = द्य्ढनिश्र्चय वाले भक्तजन ; कीर्तयन्त: = मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए ; च = तथा (मेरी प्राप्ति के लिये) ; यतन्त: = यत्न करते हुए ; च = और ; माम् = मेरे को ; सततम् = निरन्तर ; नमस्यन्त: = बारम्बार प्रमाण करते हुए ; नित्ययुक्ता: = सदा मेरे ध्यान में युक्त हुए ; भक्त्या = अनन्य भक्ति से ; माम् = मुझे ; उपासते = उपासते हैं ;
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