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[[मथुरा]] से 16 कि0मी0 दक्षिण–पूर्व में [[यमुना]] तट पर स्थित यह [[गोकुल]] का प्रसिद्ध मन्दिर है । [[यशोदा]] मैया के घर में अत्याचारी [[कंस]] के कोप से बचाने के लिए नन्द गोपाल को गोकुल में ही छुपाया गया था । तीर्थ यात्रियों की यहां कतार लगी रहती है । कार्तिक मास के [[कृष्ण]] पक्ष की चतुर्थी को यहां [[वृन्दावन]] मेला लगता है और [[कृष्ण जन्माष्टमी|जन्माष्टमी]] तथा अन्नकूट त्यौहारों पर विशेष आयोजन होते हैं । गोकुल का सम्बन्ध संत [[वल्लभाचार्य|बल्लभाचार्यजी]] से हैं जिन्होंने यहाँ कई वर्ष तक निवास किया था । | [[मथुरा]] से 16 कि0मी0 दक्षिण–पूर्व में [[यमुना]] तट पर स्थित यह [[गोकुल]] का प्रसिद्ध मन्दिर है । [[यशोदा]] मैया के घर में अत्याचारी [[कंस]] के कोप से बचाने के लिए नन्द गोपाल को गोकुल में ही छुपाया गया था । तीर्थ यात्रियों की यहां कतार लगी रहती है । कार्तिक मास के [[कृष्ण]] पक्ष की चतुर्थी को यहां [[वृन्दावन]] मेला लगता है और [[कृष्ण जन्माष्टमी|जन्माष्टमी]] तथा अन्नकूट त्यौहारों पर विशेष आयोजन होते हैं । गोकुल का सम्बन्ध संत [[वल्लभाचार्य|बल्लभाचार्यजी]] से हैं जिन्होंने यहाँ कई वर्ष तक निवास किया था । | ||
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१०:१३, १७ नवम्बर २००९ का अवतरण
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गोकुलनाथ जी मन्दिर / Gokulnath Temple
मथुरा से 16 कि0मी0 दक्षिण–पूर्व में यमुना तट पर स्थित यह गोकुल का प्रसिद्ध मन्दिर है । यशोदा मैया के घर में अत्याचारी कंस के कोप से बचाने के लिए नन्द गोपाल को गोकुल में ही छुपाया गया था । तीर्थ यात्रियों की यहां कतार लगी रहती है । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यहां वृन्दावन मेला लगता है और जन्माष्टमी तथा अन्नकूट त्यौहारों पर विशेष आयोजन होते हैं । गोकुल का सम्बन्ध संत बल्लभाचार्यजी से हैं जिन्होंने यहाँ कई वर्ष तक निवास किया था ।