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ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है । ये शहर और इसका किला उत्तर भारत के प्राचीन शहरों का केन्द्र रहे हैं । यह शहर सदियों से राजपूतों की प्राचीन राजधानी रहा है, चाहे वे प्रतिहार रहे हों या कछवाहा या तोमर । इस शहर में इनके द्वारा छोडे ग़ये प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे । सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्हों ने इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है । ग्वालियर शहर के इस नाम के पीछे भी एक इतिहास छिपा है; आठवीं शताब्दी में एक राजा हुए सूरजसेन, एक बार वे एक अज्ञात बीमारी से ग्रस्त हो मृत्युशैया पर थे, तब 'ग्वालिपा' नामक संत ने उन्हें ठीक कर जीवनदान दिया । उन्हीं के सम्मान में इस शहर की नींव पडी और इसे नाम दिया ग्वालियर । आने वाली शताब्दियों के साथ यह शहर बड़े-बड़े राजवंशो की राजस्थली बना । हर सदी के साथ इस शहर के इतिहास को नये आयाम मिले । महान योध्दाओं, राजाओं, कवियों संगीतकारों तथा सन्तों ने इस राजधानी को देशव्यापी पहचान देने में अपना-अपना योगदान दिया । आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है ।
 
ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है । ये शहर और इसका किला उत्तर भारत के प्राचीन शहरों का केन्द्र रहे हैं । यह शहर सदियों से राजपूतों की प्राचीन राजधानी रहा है, चाहे वे प्रतिहार रहे हों या कछवाहा या तोमर । इस शहर में इनके द्वारा छोडे ग़ये प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे । सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्हों ने इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है । ग्वालियर शहर के इस नाम के पीछे भी एक इतिहास छिपा है; आठवीं शताब्दी में एक राजा हुए सूरजसेन, एक बार वे एक अज्ञात बीमारी से ग्रस्त हो मृत्युशैया पर थे, तब 'ग्वालिपा' नामक संत ने उन्हें ठीक कर जीवनदान दिया । उन्हीं के सम्मान में इस शहर की नींव पडी और इसे नाम दिया ग्वालियर । आने वाली शताब्दियों के साथ यह शहर बड़े-बड़े राजवंशो की राजस्थली बना । हर सदी के साथ इस शहर के इतिहास को नये आयाम मिले । महान योध्दाओं, राजाओं, कवियों संगीतकारों तथा सन्तों ने इस राजधानी को देशव्यापी पहचान देने में अपना-अपना योगदान दिया । आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है ।
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११:५७, १७ नवम्बर २००९ का अवतरण

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ग्वालियर / Gwalior

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है । ये शहर और इसका किला उत्तर भारत के प्राचीन शहरों का केन्द्र रहे हैं । यह शहर सदियों से राजपूतों की प्राचीन राजधानी रहा है, चाहे वे प्रतिहार रहे हों या कछवाहा या तोमर । इस शहर में इनके द्वारा छोडे ग़ये प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे । सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्हों ने इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है । ग्वालियर शहर के इस नाम के पीछे भी एक इतिहास छिपा है; आठवीं शताब्दी में एक राजा हुए सूरजसेन, एक बार वे एक अज्ञात बीमारी से ग्रस्त हो मृत्युशैया पर थे, तब 'ग्वालिपा' नामक संत ने उन्हें ठीक कर जीवनदान दिया । उन्हीं के सम्मान में इस शहर की नींव पडी और इसे नाम दिया ग्वालियर । आने वाली शताब्दियों के साथ यह शहर बड़े-बड़े राजवंशो की राजस्थली बना । हर सदी के साथ इस शहर के इतिहास को नये आयाम मिले । महान योध्दाओं, राजाओं, कवियों संगीतकारों तथा सन्तों ने इस राजधानी को देशव्यापी पहचान देने में अपना-अपना योगदान दिया । आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है ।