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घनानंद / Ghananand
(1689 ईस्वी से 1739 ईस्वी (लगभग)) हिंदी भाषा के रीतिकाल के कवि घनानन्द के सम्बंध में निश्चित जानकारी नहीं है । कुछ लोग इनका जन्मस्थान उत्तरप्रदेश के जनपद बुलन्दशहर को मानते हैं । जन्म 1658 से 1689 ईस्वी के बीच और निधन 1739 ईस्वी (लगभग) माना जाता है । इनका निधन अब्दाली दुर्रानी द्वारा मथुरा में किये गये कत्लेआम में हुआ था । घनानन्द श्रृंगार धारा के कवि थे । ये सखीभाव से श्रीकृष्ण की उपासना करते थे । विरक्त होने से पहले ये बहादुरशाह के मीर मुंशी थे । वहीं पर सुजान नामक नर्तकी से इनका प्रेम हो गया था । इन्होंने अपनी प्रेमिका को सम्बोधित करके ही अपनी काव्य रचनायें की हैं । कुछ विद्वान इनकी रचनाओं में आध्यात्मिकता भी मानते हैं।
घनानंद सम्राट
- मगध देश का एक राजा था।
- इसकी राज्य-सीमा व्यास नदी तक फैली थी।
- उसकी सैनिक शक्ति के भय से ही सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था।
- नन्दवंश का अंतिम शासक घनानंद बहुत दुर्बल और अत्याचारी था।
- कौटिल्य की सहायता से चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई॰ पूर्व में नंदवंश को समाप्त करके मौर्य वंश की नींव डाली।