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सन 1211 और 1236 ई0 के बीच, [[भारत]] की सरहद पर एक बड़ा भंयकर बादल उठा। यह बादल मंगोलों का था, जिसका नेता चंगेज़ ख़ाँ था। चंगेज़ ख़ाँ अपने एक दुश्मन का पीछा करता हुआ ठेठ [[सिंधु नदी]] तक आ गया, लेकिन यहीं पर रुक गया। भारत बच गया। इसके क़रीब दो सौ वर्ष बाद इसी के वंश का एक दूसरा आदमी [[तैमूर लंग|तैमूर]] भारत में मार-काट और बरबादी लेकर आया। लेकिन बहुत से मंगोलों ने भारत पर छापा मारने और ठेठ लाहौर तक भी आ धमकने की आदत-सी डाल ली। कभी-कभी ये आतंक फैलाते थे और सुल्तानों तक को भी डरा देते थे कि वे धन देकर अपना पिण्ड छुड़ाते थे। हज़ारों मंगोल पंजाब में ही बस गये।
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१०:४६, २१ मई २०१० का अवतरण

चंगेज़ ख़ाँ

परिचय

सन 1211 और 1236 ई0 के बीच, भारत की सरहद पर एक बड़ा भंयकर बादल उठा। यह बादल मंगोलों का था, जिसका नेता चंगेज़ ख़ाँ था। चंगेज़ ख़ाँ अपने एक दुश्मन का पीछा करता हुआ ठेठ सिंधु नदी तक आ गया, लेकिन यहीं पर रुक गया। भारत बच गया। इसके क़रीब दो सौ वर्ष बाद इसी के वंश का एक दूसरा आदमी तैमूर भारत में मार-काट और बरबादी लेकर आया। लेकिन बहुत से मंगोलों ने भारत पर छापा मारने और ठेठ लाहौर तक भी आ धमकने की आदत-सी डाल ली। कभी-कभी ये आतंक फैलाते थे और सुल्तानों तक को भी डरा देते थे कि वे धन देकर अपना पिण्ड छुड़ाते थे। हज़ारों मंगोल पंजाब में ही बस गये।


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