"चक्रतीर्थ" के अवतरणों में अंतर

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==चक्रतीर्थ / Chakratirth==
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==असिकुण्ड तीर्थ / Asikund Thirth==
चक्रतीर्थं तु विख्यातं माथुरे मम मण्डले ।<br />
 
यस्तत्र कुरुते स्नानं त्रिरात्रोपोषितो नर: ।<br />
 
स्नानमात्रेण मनुजो मुच्यते ब्रह्महत्यया ॥<br />
 
  
मेरे मथुरा मण्डल में चक्र तीर्थ विख्यात है । जो व्यक्ति तीन दिन उपवास करके इस स्थान पर स्नान एवं ध्यान करेंगे वे व्यक्ति निश्चय ही ब्रह्महत्या से मुक्त हो जायेंगे
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एका वराहसंज्ञा च तथा नारायणी परा ।<br />
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वामना च तृतीया वै चतुर्थी लांगली शुभा ॥<br />
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एताश्चस्त्रो य: पश्येत् स्नात्वा कुण्डेSसिसंज्ञके ।<br />
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चतु: सागरपर्यान्ता क्रानता तेन धरा ध्रुवम् <br />
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तीर्थानां माथुराणाञच सर्वेषां फलमश्नुते ॥<br />
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एक-श्रीवाराह, दो-श्रीनारायण, तीन-श्रीवामन, चार-मंगलमयी लांगली इन चार मुर्तियों की जो व्यक्ति असिकुण्ड में स्नान करते है, उन्हें चारों तरफ से घिरा हुआ पृथ्वी की परिक्रमा एंव [[मथुरा]] के समस्त तीर्थों के दर्शन लाभ का फल प्राप्त होता है

११:१५, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण

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साँचा:यमुना के घाट

असिकुण्ड तीर्थ / Asikund Thirth

एका वराहसंज्ञा च तथा नारायणी परा ।
वामना च तृतीया वै चतुर्थी लांगली शुभा ॥
एताश्चस्त्रो य: पश्येत् स्नात्वा कुण्डेSसिसंज्ञके ।
चतु: सागरपर्यान्ता क्रानता तेन धरा ध्रुवम् ।
तीर्थानां माथुराणाञच सर्वेषां फलमश्नुते ॥

एक-श्रीवाराह, दो-श्रीनारायण, तीन-श्रीवामन, चार-मंगलमयी लांगली इन चार मुर्तियों की जो व्यक्ति असिकुण्ड में स्नान करते है, उन्हें चारों तरफ से घिरा हुआ पृथ्वी की परिक्रमा एंव मथुरा के समस्त तीर्थों के दर्शन लाभ का फल प्राप्त होता है ।