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चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य / Chandragupt Vikramaditya

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 380-413) गुप्त राजवंश का राजा । समुद्रगुप्त का पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय के नाम से गद्दी पर बैठा। उसका शासन काल 375 ई0 से 413 ई0 तक रहा। वह अपने वंश में बड़ा पराक्रमी शासक हुआ। मालवा, काठियावाड़, गुजरात और उज्जयिनी को अपने साम्राज्य में मिलाकर उसने अपने पिता के राज्य का और भी विस्तार किया। शाकों पर विजय प्राप्त करके उसने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की। वह 'शकारि' भी कहलाया।


चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासन-काल भारत के इतिहास का बड़ा महत्वपूर्ण समय माना जाता है। चीनी यात्री फाह्यान उसके समय में 6 वर्षों तक भारत में रहा। वह बड़ा उदार और न्याय-परायण सम्राट था। उसके समय में भारतीय संस्कृति का चतुर्दिक विकास हुआ। महाकवि कालिदास उसके दरबार की शोभा थे। वह स्वयं वैष्णव था, पर अन्य धर्मों के प्रति भी उदार-भावना रखता था। गुप्त राजाओं के काल को भारतीय इतिहास का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है। इसका बहुत कुछ श्रेय चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की शासन-व्यवस्था को है।