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१२:५४, १५ सितम्बर २००९ का अवतरण


चाणक्य / कौटिल्य / Chanakya / Kautilya

कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं । इनका व्यक्तिवाचक नाम विष्णुगुप्त, स्थानीय नाम चाणक्य (चाणक्यवासी) और गोत्रनाम कौटिल्य (कुटिल से) था । ये चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे । इन्होंने 'अर्थशास्त्र' नामक एक ग्रन्थ की रचना की, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, इतिहास, आचरण शास्त्र, धर्म आदि पर भली भाँति प्रकाश डालता है । 'अर्थशास्त्र' मौर्य काल के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप को सर्वागं देखा जा सकता है । अर्थशास्त्र से धार्मिक जीवन पर भी काफी प्रकाश पड़ता है । उस समय बहुत से देवताओं तथा देवियों की पूजा होती थी । न केवल बड़े देवता-देवी अपितु यक्ष, गन्धर्व, पर्वत, नदी, वृक्ष, अग्नि, पक्षी, सर्प, गाय आदि की भी पूजा होती थी । महामारी, पशुरोग, भूत, अग्नि, बाढ़, सूखा, अकाल आदि से बचने के लिए भी बहुतेरे धार्मिक कृत्य किये जाते थे । अनेक उत्सव , जादू टोने आदि का भी प्रचार था । कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार -राजा का मुख्य कर्तव्य था प्रजा द्वारा वर्णाश्रम धर्म और नैतिक आचरण का पालन कराना ।


राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचयिता एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मंत्री । ये चणक नामक स्थान के रहने वाले थे, अत: चाणक्य कहलाये । अर्थशास्त्र राजनीति का उत्कृट ग्रन्थ है, जिसने परवर्ती राजधर्म को प्रभावित किया । चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ 'चाणक्यनीति' भी प्रचलित है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र में वार्ता ( अर्थशास्त्र ) तथा दण्डनीति ( राज्यशासन ) के साथ आन्वीक्षिकी (तर्कशास्त्र) तथा त्रयी ( वैदिक ग्रन्थों ) पर भी काफी बल दिया है। अर्थशास्त्र के अनुसार यह राज्य का धर्म है कि वह देखे कि प्रजा वर्णाश्रम धर्म का 'उचित पालन करती है कि नहीं । [१] तक्षशिला की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था । और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिलके मौर्य साम्राज्य की नींव डाली । आयुर्वेद के महान् विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी ।


टीका-टिप्पणी

  1. दे0 'कौटिल्य' और 'अर्थशास्त्र'।