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+ | यह स्थान महर्षि शन्डिल साधना भूमि रही है तांत्रिक उपासक चामुण्डा को दस महाविद्याओं में छिन्न मस्ता का स्वरूप मानते हैं। सप्तशती के अनुसार चण्ड–मुण्ड असुरों को नष्ट करने वाली शक्ति चामुण्डा हैं। इस प्रकार चण्ड दैत्य संहारणी काली प्रतिमा को चामुण्डा कहा गया है। | ||
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०५:१३, २ फ़रवरी २०१० का अवतरण
चामुण्डा देवी मन्दिर
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मार्ग स्थिति: | यह मन्दिर जयसिंह पुरा, वृंदावन मार्ग, मथुरा में स्थित है । |
आस-पास: | गायत्री तपोभूमि, प्रेम महाविधालय, मेथोडिस्ट हस्पताल, बिरला मंदिर |
पुरातत्व: | निर्माणकाल- उन्नीसवीं शताब्दी |
वास्तु: | इसे मन्दिर को बनाने में लखोरी ईंट व चूने का इस्तेमाल किया गया है । |
स्वामित्व: | श्री कपिल गुरू |
प्रबन्धन: | |
स्त्रोत: | इंटैक |
अन्य लिंक: | |
अन्य: | |
सावधानियाँ: | |
मानचित्र: | |
अद्यतन: | 2009 |
चामुण्डा देवी मन्दिर / Chamunda Devi Temple
मथुरा के उत्तर–पश्चिम दिशा में गायत्री तपोभूमि के सामने मथुरा–वृन्दावन रेलवे लाइन के निकट स्थित इस प्रसिद्ध मन्दिर की भारी मान्यता है। देवी भागवत के अनुसार सती के मृत शरीर को जब शंकर जी ले जा रहे थे। उस समय उनके केश जिस स्थान पर गिरे वही स्थान चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध है।
महर्षि शन्डिल
यह स्थान महर्षि शन्डिल साधना भूमि रही है तांत्रिक उपासक चामुण्डा को दस महाविद्याओं में छिन्न मस्ता का स्वरूप मानते हैं। सप्तशती के अनुसार चण्ड–मुण्ड असुरों को नष्ट करने वाली शक्ति चामुण्डा हैं। इस प्रकार चण्ड दैत्य संहारणी काली प्रतिमा को चामुण्डा कहा गया है।