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[[मथुरा]] के उत्तर–पश्चिम दिशा में [[गायत्री तपोभूमि]] के सामने मथुरा–[[वृन्दावन]] रेलवे लाइन के निकट स्थित इस प्रसिद्ध मन्दिर की भारी मान्यता है । देवी भागवत के अनुसार [[सती]] के मृत शरीर को जब [[शंकर]] जी ले जा रहे थे । उस समय उनके केश जिस स्थान पर गिरे वही स्थान चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध है । यह स्थान महर्षि शन्डिल साधना भूमि रही है तांत्रिक उपासक चामुण्डा को दस महाविद्याओं में छिन्न मस्ता का स्वरूप मानते हैं । सप्तशती के अनुसार चण्ड–मुण्ड असुरों को नष्ट करने वाली शक्ति चामुण्डा हैं । इस प्रकार चण्ड दैत्य संहारणी काली प्रतिमा को चामुण्डा कहा गया है । | [[मथुरा]] के उत्तर–पश्चिम दिशा में [[गायत्री तपोभूमि]] के सामने मथुरा–[[वृन्दावन]] रेलवे लाइन के निकट स्थित इस प्रसिद्ध मन्दिर की भारी मान्यता है । देवी भागवत के अनुसार [[सती]] के मृत शरीर को जब [[शंकर]] जी ले जा रहे थे । उस समय उनके केश जिस स्थान पर गिरे वही स्थान चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध है । यह स्थान महर्षि शन्डिल साधना भूमि रही है तांत्रिक उपासक चामुण्डा को दस महाविद्याओं में छिन्न मस्ता का स्वरूप मानते हैं । सप्तशती के अनुसार चण्ड–मुण्ड असुरों को नष्ट करने वाली शक्ति चामुण्डा हैं । इस प्रकार चण्ड दैत्य संहारणी काली प्रतिमा को चामुण्डा कहा गया है । | ||
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०६:०५, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण
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चामुण्डा देवी मन्दिर / Chamunda Devi Temple
मथुरा के उत्तर–पश्चिम दिशा में गायत्री तपोभूमि के सामने मथुरा–वृन्दावन रेलवे लाइन के निकट स्थित इस प्रसिद्ध मन्दिर की भारी मान्यता है । देवी भागवत के अनुसार सती के मृत शरीर को जब शंकर जी ले जा रहे थे । उस समय उनके केश जिस स्थान पर गिरे वही स्थान चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध है । यह स्थान महर्षि शन्डिल साधना भूमि रही है तांत्रिक उपासक चामुण्डा को दस महाविद्याओं में छिन्न मस्ता का स्वरूप मानते हैं । सप्तशती के अनुसार चण्ड–मुण्ड असुरों को नष्ट करने वाली शक्ति चामुण्डा हैं । इस प्रकार चण्ड दैत्य संहारणी काली प्रतिमा को चामुण्डा कहा गया है ।
साँचा:Mathura temple