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==चौधरी दिगम्बर सिंह पूर्व सांसद / [[:en:Digambar Singh, Chaudhary Freedom Fighter|Chaudhary Digambar Singh Ex M.P.]]==  
 
==चौधरी दिगम्बर सिंह पूर्व सांसद / [[:en:Digambar Singh, Chaudhary Freedom Fighter|Chaudhary Digambar Singh Ex M.P.]]==  

११:२६, ९ जनवरी २०१० का अवतरण

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चौधरी दिगम्बर सिंह

चौधरी दिगम्बर सिंह पूर्व सांसद / Chaudhary Digambar Singh Ex M.P.

आत्मज चौधरी छ्त्तर सिंह।

जन्म-9 जून 1913 देहावसान-10 दिसम्बर 1995

पैत्रिक गाँव-कुरसण्डा, मथुरा। (अब हाथरस ज़िले में)

2212, डैम्पीयर नगर भगत सिंह पार्क मथुरा-281001

व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के कारण सन 1941में 1 वर्ष का कारावास और 100 रूपया जुर्माना हुआ।

"भारत छोड़ो" आन्दोलन के दौरान सन 1942 में नजरबन्द किये गये।

4 बार लोकसभा के सदस्य रहे।

1952 में जलेसर से और 1962, 70 (उपचुनाव) , 80 में मथुरा से।

25 वर्ष लगातार मैनेजिंग डाइरेक्टर जिला सहकारी बैंक, मथुरा।

संक्षिप्त जीवन तिथि-क्रम

  • जन्म- 9 जून 1913, सोमवार, ग्राम कुरसण्डा तहसील सादाबाद ज़िला मथुरा के एक ज़मींदार परिवार में हुआ। लगभग एक वर्ष की आयु में ही माता-पिता का निधन।
  • 1921- 8 वर्ष की उम्र में महात्मा गांधी के दर्शन करने सादाबाद गये।
  • अध्ययन- गीता, महाभारत, रामायण, पुराण और विश्व के अधिकतर नेताओं की जीवनी। भारतीय, चीनी, यूरोपीय, गांधीवाद, मार्क्सवाद, आर्यसमाज, देवसमाज, ब्रह्मसमाज, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई यहुदी, ताओ धर्म आदि का अध्ययन विशेष रूप से किया।
  • 1935- असेम्बली के चुनावों की सरगर्मी के साथ राजनीति में रूचि, श्री हकीम ब्रजलाल बर्मन से निकटता।
  • 1941- 1 वर्ष की सज़ा 100 रू॰ जुर्माना 3 माह के कारावास के बाद मथुरा जेल से चुनार जेल स्थानान्तरित किए गए दिसम्बर 1941 को रिहा किये गये। ग़ैर क़ानूनी हथियार रखने एवं घर पर ही देशी बम बनाने का कार्य, जेल से रिहा होने के बाद और ज़ोर शोर से शुरू कर दिया, एक दिन घर में ही बम फट गया।
  • 1942- में फिर जेल गये।
  • 1945- प्रदेश कांग्रेस कमैटी के सदस्य एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमैटी के सदस्य चुने गये।
  • 1948- 1948 में कांग्रेस से अलग होकर बनी कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के चिन्ह पर उत्तर प्रदेश में डिस्ट्रिक बोर्ड (ज़िला परिषद) के अध्यक्ष चुनाव लड़ाए गये और वे सभी हार गये जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी श्री हकीम ब्रजलाल वर्मन से ये भी हार गये।
  • 1951- इसके बाद श्री राम मनोहर लोहिया एवं इनकी निकटता बहुत बढ़ गयी लोहिया जी का कार्यक्रम कुरसण्डा में हुआ। 101 बैलों की जोड़ी के रथ का जूलूस सादाबाद में निकाला गया जो मथुरा ज़िले के इतिहास में तब तक का सबसे बड़ा अनुशासित प्रदर्शन था।
  • 1952- कुरसण्डा में पंचायत घर बनवाया। श्रमदान से एक ही दिन में छ: कमरों का स्कूल बनवाया।
  • 1952- जलेसर लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चौधरी दिगम्बर सिंह 64 हजार से भी अधिक मतों से विजयी हुये।
  • 1953- ज़िला सहकारी बैंक के अध्यक्ष हुए और पच्चीस वर्ष रहे।
  • 1955- श्रमदान से कुरसण्डा रजवाहा बनवाया।
  • 1957- मथुरा लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, राजामहेन्द्र प्रताप ने लगभग 27 हजार वोटों से इनको को हराया इसी चुनाव में वर्तमान प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी की ज़मानत ज़ब्त हुई।
  • 1962- मथुरा लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर चौधरी दिगम्बर सिंह ने राजा महेन्द्र प्रताप को 27 हजार वोटों से हरा पुन: संसद में प्रवेश किया।
  • 1966- सहकारी किसान निवास चन्दे से बनवाया। जिला सहकारी बैंक, जिला सहकारी संघ एवं पराग डेरी के भवन बनवाए।
  • 1967- मथुरा लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी भरतपुर के गिरिराज शरण सिंह (राजा बच्चू सिंह) से हार गये।
  • 1969- आकाशवाणी मथुरा की स्थापना करवाई। चौधरी चरण सिंह के द्वारा भारतीय क्रांति दल के गठन के साथ ही इन्होंने भी कांग्रेस छोड़ भारतीय क्रांती दल में आ गये एवं सादाबाद से विधायक का चुनाव लड़ा एवं हार गये।
  • 1970- राजा बच्चू सिंह की मृत्यु के कारण मथुरा लोक सभा सीट पर उपचुनाव हुआ इस चुनाव में इन्होंने राजा मानसिंह (राजा भरतपुर) एवं मनीराम बागड़ी को हरा चुनाव जीता। इस चुनाव में ये भारतीय क्रांती दल के उम्मीदवार रहे एवं कांग्रेस पार्टी ने भी इनको को अपना समर्थन दिया।
  • 1970- लोक सभा में कांग्रेस ने पूर्व राजाओं के दिये जाने वाले प्रिवीपर्स को समाप्त करने के लिये सदन के पटल पर बिल पेश किया। चौधरी चरणसिंह एवं उनकी पार्टी भारतीय क्रांती दल, सदन में पूर्व राजाओं को मिलने वाले प्रिवीपर्स का समर्थन कर रहे थे किन्तु समय की आवश्यकता के देखते हुए इन्होंने ने प्रिवीपर्स के ख़िलाफ सदन में मतदान किया।
  • 1971- उत्तर प्रदेश में भारतीय क्रांती दल एक उम्मीदवार को छोड़ बाक़ी सभी उम्मीदवार चुनाव हार गये, जिसमें चौधरी चरणसिंह भी शामिल थे मथुरा से ये भी चुनाव हार गये।
  • 1980- लोकदल की टिकट पर मथुरा लोक सभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़े एवं कांग्रेस प्रत्याशी को 84 हजार मतों के भारी अन्तर से पराजित कर सांसद बने।
  • 1983- भूमि अधिग्रहण अधिनिगम में ऐतिहासिक संशोधन करवाया। रेलवे पुल गैलरी बनवायी।
  • 10-12-1995 को मथुरा में देहावसान।
  • 11-12-1995 मथुरा में यमुना किनारे, राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार।