"जैन" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | ==जैन धर्म== | + | ==जैन धर्म / Jainism== |
[[category:धर्म-संप्रदाय]] | [[category:धर्म-संप्रदाय]] | ||
{{menu}}<br /> | {{menu}}<br /> | ||
[[श्रेणी:कोश]] | [[श्रेणी:कोश]] | ||
जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से । 'जि' माने-जीतना । 'जिन' माने जीतने वाला । जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म । जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमंत्र है- णमो अरिहंताणं । णमो सिद्धाणं । णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। ये पाँच परमेष्ठी हैं । | जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से । 'जि' माने-जीतना । 'जिन' माने जीतने वाला । जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म । जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमंत्र है- णमो अरिहंताणं । णमो सिद्धाणं । णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। ये पाँच परमेष्ठी हैं । | ||
+ | __INDEX__ |
०६:५२, १२ नवम्बर २००९ का अवतरण
जैन धर्म / Jainism
जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से । 'जि' माने-जीतना । 'जिन' माने जीतने वाला । जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म । जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमंत्र है- णमो अरिहंताणं । णमो सिद्धाणं । णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। ये पाँच परमेष्ठी हैं ।