"जैन मोद क्रिया" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
(नया पन्ना: {{Menu}} ==जैन मोद क्रिया / Jain Mod Kriya== *मोद प्रमोद या हर्ष-ये एक ही अर्थ वाले श...) |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - 'जरूर' to 'ज़रूर') |
||
पंक्ति ८: | पंक्ति ८: | ||
*अनन्तर प्रतिष्ठा-आचार्य गर्भिणी के मस्तक पर णमोकार मन्त्र पढ़ते हुए ओं श्री आदि बीजाक्षर लिखना चाहिए। | *अनन्तर प्रतिष्ठा-आचार्य गर्भिणी के मस्तक पर णमोकार मन्त्र पढ़ते हुए ओं श्री आदि बीजाक्षर लिखना चाहिए। | ||
*पीले चावलों (पुष्पों) की वर्षा मन्त्रपूर्वक करनी चाहिए। वस्त्र-आभूषण धारण कराने के साथ हस्त में कंकण सूत्र का बन्धन करना चाहिए। | *पीले चावलों (पुष्पों) की वर्षा मन्त्रपूर्वक करनी चाहिए। वस्त्र-आभूषण धारण कराने के साथ हस्त में कंकण सूत्र का बन्धन करना चाहिए। | ||
− | *शान्ति-विसर्जन पाठ पढ़ते हुए पुष्पों की वर्षा करना | + | *शान्ति-विसर्जन पाठ पढ़ते हुए पुष्पों की वर्षा करना ज़रूरी है। |
*पश्चात गर्भिणी को सरस भोजन करना चाहिए तथा आमन्त्रित सामाजिक बन्धुओं का यथायोग्य आदर-सत्कार करें। | *पश्चात गर्भिणी को सरस भोजन करना चाहिए तथा आमन्त्रित सामाजिक बन्धुओं का यथायोग्य आदर-सत्कार करें। | ||
[[Category:कोश]] | [[Category:कोश]] | ||
[[Category:जैन]] | [[Category:जैन]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
०३:२४, ७ अप्रैल २०१० का अवतरण
जैन मोद क्रिया / Jain Mod Kriya
- मोद प्रमोद या हर्ष-ये एक ही अर्थ वाले शब्द हैं।
- इस संस्कार में हर्षवर्धक ही सब कार्य किये जाते हैं।
- अत: इसको 'मोद' कहते हैं।
- गर्भ से नौवे माह में यह मोद क्रिया की जाती है।
- प्रथम संस्कार की तरह सब क्रिया करते हुए सिद्धयन्त्र पूजन और हवन करना चाहिए।
- अनन्तर प्रतिष्ठा-आचार्य गर्भिणी के मस्तक पर णमोकार मन्त्र पढ़ते हुए ओं श्री आदि बीजाक्षर लिखना चाहिए।
- पीले चावलों (पुष्पों) की वर्षा मन्त्रपूर्वक करनी चाहिए। वस्त्र-आभूषण धारण कराने के साथ हस्त में कंकण सूत्र का बन्धन करना चाहिए।
- शान्ति-विसर्जन पाठ पढ़ते हुए पुष्पों की वर्षा करना ज़रूरी है।
- पश्चात गर्भिणी को सरस भोजन करना चाहिए तथा आमन्त्रित सामाजिक बन्धुओं का यथायोग्य आदर-सत्कार करें।