"जैन संग्रहालय मथुरा" के अवतरणों में अंतर

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{{भारतकोश पर बने लेख}}
==जैन संग्रहालय / Jain Museum==
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[[चित्र:Museum-Mathura-1.jpg|राजकीय जैन संग्रहालय, [[मथुरा]]|thumb|250px]]
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प्रारम्भ में यह संग्रहालय स्थानीय तहसील के पास एक छोटे भवन में रखा गया था । कुछ परिवर्तनों के बाद सन् 1881 में उसे जनता के लिए खोल दिया गया । सन् 1900 में संग्रहालय का प्रबन्ध नगरपालिका के हाथ में दिया गया । इसके पांच वर्ष बाद तत्कालीन पुरातत्त्व अधिकारी डा. जे. पी. एच. फोगल के द्वारा इस संग्रहालय की मूतियों का वर्गीकरण किया गया और सन् 1910 में एक विस्तृत सूची प्रकाशित की गई । इस कार्य से संग्रहालय का महत्त्व शासन की दृष्टि  में बढ़ गया और सन् 1912 में इसका सारा प्रबन्ध राज्य सरकार ने अपने हाथ में  ले लिया । सन् 1908 से रायबहादुर पं. राधाकृष्ण यहां के प्रथम सहायक संग्रहाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए, बाद में वे अवैतनिक संग्रहाध्यक्ष हो गये। अब संग्रहालय की उन्नति होने लगी, जिसमें तत्कालीन पुरातत्त्व निदेशक सर जॉन मार्शल और रायबहादुर दयाराम साहनी का बहुत बड़ा हाथ था सन् 1929 में प्रदेशीय शासन ने एक लाख छत्तीस हजार रूपया लगाकर स्थानीय डैम्पियर पार्क में संग्रहालय का सम्मुख भाग बनवाया और सन् 1930 में यह जनता के लिए खोला गया । इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यहां कोई नवीन परिर्वतन नहीं हुआ ।
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<font color="#993300">'''अन्य सम्बंधित लिंक'''</font>
 
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भारत का शासन सूत्र सन् 1947 में जब अपने हाथ में आया तब से अधिकारियों का ध्यान इस सांस्कृतिक तीर्थ की उन्नति की ओर भी गया । द्वितीय पंचवर्षीय योजना में इसकी उन्नति के लिए अलग धनराशि की व्यवस्था की गयी और कार्य भी प्रारम्भ हुआ । सन् 1958 से कार्य की गति तीव्र हुई । पुराने भवन की छत का नवीनीकरण हुआ और साथ ही साथ सन् 1930 का अधूरा बना हुआ भवन पूरा किया गया । वर्तमान स्थिति में अष्टकोण आकार का एक सुन्दर भवन उद्यान के बीच स्थित है । इनमें 34 फीट चौड़ी सुदीर्घ दरीची बनाई गई है और प्रत्येक कोण पर एक छोटा षट्कोण कक्ष भी बना है । शीघ्र ही मथुरा कला का यह विशाल संग्रह पूरे वैभव के साथ सुयोग्य वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से यहां प्रदर्शित होगा । शासन इससे आगे बढ़ने की इच्छा रखता है और परिस्थिति के अनुरूप इस संग्रहालय में व्याख्यान कक्ष, ग्रंथालय, दर्शकों का विश्राम स्थान आदि की स्वतंत्र व्यवस्था की जा रही है । इसके अतिरिक्त कला प्रेमियों की सुविधा के लिए मथुरा कला की प्रतिकृतियां और छायाचित्रों को लागत मूल्य पर देने की वर्तमान व्यवस्था में भी अधिक सुविधाएं देने की योजना है ।
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* [[जैन संग्रहालय वीथिका]]
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'''जैन संग्रहालय / Jain Museum'''<br />
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[[चित्र:Museum-Mathura-1.jpg|राजकीय जैन संग्रहालय, [[मथुरा]]<br />Govt. Jain Museum, Mathura|thumb|250px|left]]
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प्रारम्भ में यह संग्रहालय स्थानीय तहसील के पास एक छोटे भवन में रखा गया था। कुछ परिवर्तनों के बाद सन् 1881 में उसे जनता के लिए खोल दिया गया। सन् 1900 में संग्रहालय का प्रबन्ध नगरपालिका के हाथ में दिया गया। इसके पांच वर्ष बाद तत्कालीन पुरातत्त्व अधिकारी डा. जे. पी. एच. फोगल के द्वारा इस संग्रहालय की मूर्तियों का वर्गीकरण किया गया और सन् 1910 में एक विस्तृत सूची प्रकाशित की गई। इस कार्य से संग्रहालय का महत्त्व शासन की दृष्टि  में बढ़ गया और सन् 1912 में इसका सारा प्रबन्ध राज्य सरकार ने अपने हाथ में  ले लिया। सन् 1908 से रायबहादुर पं. राधाकृष्ण यहाँ के प्रथम सहायक संग्रहालय अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए, बाद में वे अवैतनिक संग्रहाध्यक्ष हो गये। अब संग्रहालय की उन्नति होने लगी, जिसमें तत्कालीन पुरातत्त्व निदेशक सर जॉन मार्शल और रायबहादुर दयाराम साहनी का बहुत बड़ा हाथ था सन् 1929 में प्रदेशीय शासन ने एक लाख छत्तीस हज़ार रुपया लगाकर स्थानीय डैम्पियर पार्क में संग्रहालय का सम्मुख भाग बनवाया और सन् 1930 में यह जनता के लिए खोला गया। इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यहाँ कोई नवीन परिर्वतन नहीं हुआ।
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भारत का शासन सूत्र सन् 1947 में जब अपने हाथ में आया तब से अधिकारियों का ध्यान इस सांस्कृतिक तीर्थ की उन्नति की ओर भी गया। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में इसकी उन्नति के लिए अलग धनराशि की व्यवस्था की गयी और कार्य भी प्रारम्भ हुआ। सन् 1958 से कार्य की गति तीव्र हुई। पुराने भवन की छत का नवीनीकरण हुआ और साथ ही साथ सन् 1930 का अधूरा बना हुआ भवन पूरा किया गया। वर्तमान स्थिति में अष्टकोण आकार का एक सुन्दर भवन उद्यान के बीच स्थित है। इनमें 34 फीट चौड़ी सुदीर्घ दरीची बनाई गई है और प्रत्येक कोण पर एक छोटा षट्कोण कक्ष भी बना है। शीघ्र ही मथुरा कला का यह विशाल संग्रह पूरे वैभव के साथ सुयोग्य वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से यहाँ प्रदर्शित होगा। शासन इससे आगे बढ़ने की इच्छा रखता है और परिस्थिति के अनुरूप इस संग्रहालय में व्याख्यान कक्ष, ग्रंथालय, दर्शकों का विश्राम स्थान आदि की स्वतंत्र व्यवस्था की जा रही है। इसके अतिरिक्त कला प्रेमियों की सुविधा के लिए मथुरा कला की प्रतिकृतियां और छायाचित्रों को लागत मूल्य पर देने की वर्तमान व्यवस्था में भी अधिक सुविधाएं देने की योजना है।
  
[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|सिर विहीन जैन प्रतिभा<br /> Headless Image of Jina|thumb]]
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==जैन संग्रहालय वीथिका==
==वीथिका==
 
 
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चित्र:Thirthankara-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-1.jpg|प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ<br /> 1st Tirthankara Rishabhanatha
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चित्र:Bust-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-2.jpg|जैन प्रतिमा का धड़<br /> Bust of Jina
 
चित्र:Bust-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-2.jpg|जैन प्रतिमा का धड़<br /> Bust of Jina
 
चित्र:Head-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-4.jpg|जैन मस्तक<br /> Head of a Jina
 
चित्र:Head-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-4.jpg|जैन मस्तक<br /> Head of a Jina
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-3.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
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चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-3.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थंकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Sarvato-Bhadrrika-Jain-Museum-Mathura-7.jpg|सर्वतोभद्रिका<br /> Sarvato Bhadrrika
 
चित्र:Sarvato-Bhadrrika-Jain-Museum-Mathura-7.jpg|सर्वतोभद्रिका<br /> Sarvato Bhadrrika
चित्र:Stele-With-Nude-Jinas-Jain-Museum-Mathura-8.jpg|तीर्थकर युक्त चौमुखी<br /> Stele With Nude Jinas
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चित्र:Stele-With-Nude-Jinas-Jain-Museum-Mathura-8.jpg|तीर्थंकर युक्त चौमुखी<br /> Stele With Nude Jinas
चित्र:Headless-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-5.jpg|सिर विहीन जैन तीर्थकर<br /> Headless Jaina Tirthankara
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चित्र:Thirthankara-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-1.jpg|प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ<br /> 1st Tirthankara Rishabhanatha
चित्र:Inscribed-Jaina-Tirthankara-Kayotsaf-Mudra-Jain-Museum-Mathura-6.jpg|अभिलिखित कायोत्यर्ग तीर्थकर प्रतिमा<br /> Inscribed Jaina Tirthankara in Kayotsaf Mudra
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चित्र:Headless-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-5.jpg|सिर विहीन जैन तीर्थंकर<br /> Headless Jaina Tirthankara
चित्र:23rd-Tirthankara-Parsvanatha-Jain-Museum-Mathura-9.jpg|23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ <br /> 23rd Tirthankara Parsvanatha
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चित्र:Inscribed-Jaina-Tirthankara-Kayotsaf-Mudra-Jain-Museum-Mathura-6.jpg|तीर्थंकर प्रतिमा<br />Jaina Tirthankara
चित्र:22-Tirthankara-Neminatha-Jain-Museum-Mathura-10.jpg|22 वें तीर्थकर नेमिनाथ<br /> 22nd Tirthankara Neminatha
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-11.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर<br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-15.jpg|जैन तीर्थकर <br /> Jaina Tirthankara
 
चित्र:Yugaliya-Jain-Museum-Mathura-12.jpg|युगलिया <br /> Miniature Tirthankara Figure With Seated Male And Female Figure (Yugaliya)
 
चित्र:Tirthankara-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-13.jpg|प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ<br /> 1st Tirthankara Rishabhanatha
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-14.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-In-Meditation-Jain-Museum-Mathura-15.jpg|ध्यान मुद्रा में जैन तीर्थकर<br /> Seated Jaina Tirthankara In Meditation
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-16.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Head-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-17.jpg|जैन मस्तक <br /> Head of a Jina
 
चित्र:Upper-Half-Part-of-Tirthankara-18.jpg|तीर्थकर प्रतिभा का ऊपरी भाग <br /> Upper Half Part of a Tirthankara
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-19.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Rishabhanatha-Jain-Museum-Mathura-20.jpg|ॠषभ नाथ <br /> Rishabhanatha
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-21.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Head-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-22.jpg|जैन मस्तक <br /> Head of a Jina
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-23.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Headless-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-24.jpg|सिर विहीन जैन तीर्थकर<br /> Headless Jaina Tirthankara
 
चित्र:Jain-Tirthankara-Rishabhanatha-Jain-Museum-Mathura-25.jpg|जैन तीर्थकर ऋषभनाथ<br /> Jaina Tirthankara Rishabhanatha
 
चित्र:Torso-of-Jina-Image-Jain-Museum-Mathura-26.jpg|जैन प्रतिमा का धड़ <br /> Torso of Jina Image
 
चित्र:Ayagapatta-with-Miniature-Tirthankara-and-Others-Sacred-Symbols-Jain-Museum-Mathura-27.jpg|तीर्थकर मूर्ति एवं अन्य मांगलिक चिन्हों से युक्त जैन आयागपट्ट <br /> Upper Half of An Ayagapatta with Miniature Tirthankara and Others Sacred Symbols
 
चित्र:Jaina-Tablet-Homage-Vasu-Daughter-Courtesan-Lavanasobhika-Jain-Museum-Mathura-28.jpg|अभिलिखित गणिका लवण्शोभिका की पुत्री वसु द्वारा स्थापित जैन आयागपट्ट <br /> Inscribed Jaina Tablet Homage set up by Vasu Daughter of Courtesan Lavanasobhika
 
चित्र:Goat-Headed-Jaina-Mother-Goddess-Jain-Museum-Mathura-29.jpg|अजमुखी जैन मातृदेवी <br /> Goat Headed Jaina Mother Goddess
 
चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-30.jpg|आसनस्थ जैन तीर्थकर <br /> Seated Jaina Tirthankara
 
चित्र:Headless-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-31.jpg|सिर विहीन जैन प्रतिभा<br /> Headless Image of Jina
 
चित्र:Lower-Part-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-32.jpg|जैन प्रतिमा का अधोभाग <br /> Lower Part of Jaina Tirthankara
 
चित्र:Bust-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-33.jpg|जैन प्रतिमा का धड़<br /> Bust of Jina
 
चित्र:Head-of-Jina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-34.jpg|जैन मस्तक<br /> Head of a Jina Tirthankara
 
चित्र:Head-of-Jina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-35.jpg|जैन मस्तक<br /> Head of a Jina
 
चित्र:Head-of-Jina-Jain-Museum-Mathura-36.jpg|जैन मस्तक<br /> Head of a Jina
 
चित्र:Headless-Jaina-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-37.jpg|सिर विहीन जैन प्रतिभा<br /> Headless Jina Tirthankara
 
 
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==सम्बंधित लिंक==
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{{जैन धर्म}}
  
[[category:कोश]]
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[[Category:कोश]]
 
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[[Category:पुरातत्व और वास्तु]]
 
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१०:३५, ९ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण

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अन्य सम्बंधित लिंक


जैन संग्रहालय / Jain Museum

राजकीय जैन संग्रहालय, मथुरा
Govt. Jain Museum, Mathura

प्रारम्भ में यह संग्रहालय स्थानीय तहसील के पास एक छोटे भवन में रखा गया था। कुछ परिवर्तनों के बाद सन् 1881 में उसे जनता के लिए खोल दिया गया। सन् 1900 में संग्रहालय का प्रबन्ध नगरपालिका के हाथ में दिया गया। इसके पांच वर्ष बाद तत्कालीन पुरातत्त्व अधिकारी डा. जे. पी. एच. फोगल के द्वारा इस संग्रहालय की मूर्तियों का वर्गीकरण किया गया और सन् 1910 में एक विस्तृत सूची प्रकाशित की गई। इस कार्य से संग्रहालय का महत्त्व शासन की दृष्टि में बढ़ गया और सन् 1912 में इसका सारा प्रबन्ध राज्य सरकार ने अपने हाथ में ले लिया। सन् 1908 से रायबहादुर पं. राधाकृष्ण यहाँ के प्रथम सहायक संग्रहालय अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए, बाद में वे अवैतनिक संग्रहाध्यक्ष हो गये। अब संग्रहालय की उन्नति होने लगी, जिसमें तत्कालीन पुरातत्त्व निदेशक सर जॉन मार्शल और रायबहादुर दयाराम साहनी का बहुत बड़ा हाथ था सन् 1929 में प्रदेशीय शासन ने एक लाख छत्तीस हज़ार रुपया लगाकर स्थानीय डैम्पियर पार्क में संग्रहालय का सम्मुख भाग बनवाया और सन् 1930 में यह जनता के लिए खोला गया। इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यहाँ कोई नवीन परिर्वतन नहीं हुआ।


भारत का शासन सूत्र सन् 1947 में जब अपने हाथ में आया तब से अधिकारियों का ध्यान इस सांस्कृतिक तीर्थ की उन्नति की ओर भी गया। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में इसकी उन्नति के लिए अलग धनराशि की व्यवस्था की गयी और कार्य भी प्रारम्भ हुआ। सन् 1958 से कार्य की गति तीव्र हुई। पुराने भवन की छत का नवीनीकरण हुआ और साथ ही साथ सन् 1930 का अधूरा बना हुआ भवन पूरा किया गया। वर्तमान स्थिति में अष्टकोण आकार का एक सुन्दर भवन उद्यान के बीच स्थित है। इनमें 34 फीट चौड़ी सुदीर्घ दरीची बनाई गई है और प्रत्येक कोण पर एक छोटा षट्कोण कक्ष भी बना है। शीघ्र ही मथुरा कला का यह विशाल संग्रह पूरे वैभव के साथ सुयोग्य वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से यहाँ प्रदर्शित होगा। शासन इससे आगे बढ़ने की इच्छा रखता है और परिस्थिति के अनुरूप इस संग्रहालय में व्याख्यान कक्ष, ग्रंथालय, दर्शकों का विश्राम स्थान आदि की स्वतंत्र व्यवस्था की जा रही है। इसके अतिरिक्त कला प्रेमियों की सुविधा के लिए मथुरा कला की प्रतिकृतियां और छायाचित्रों को लागत मूल्य पर देने की वर्तमान व्यवस्था में भी अधिक सुविधाएं देने की योजना है।

जैन संग्रहालय वीथिका

सम्बंधित लिंक

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