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==ज्ञानदीप शिक्षा भारती / Gyan Deep Shiksha Bharti==
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प्राथमिक शिक्षा के निरंतर गिरते स्तर से चिंतित [[मथुरा]] के कुछ विचारक, चिंतक, शिक्षाविद और प्रतिष्ठित नागरिकों ने एक आदर्श बाल शिक्षा संस्था की आवश्यकता अनुभव करने पर जो चिंतन किया था उसका साकार रूप है '''ज्ञानदीप शिक्षा भारती'''।
 
==स्थापना==
 
ज्ञानदीप की स्थापना 2 जुलाई 1969 को हुई थी। बाल-शिक्षा के क्षेत्र में कुछ क्रांतिकारी प्रयोगों के साथ नये आयाम स्थापित करने के लिए।
 
==उद्देश्य==
 
*ज्ञानदीप शिक्षा भारती की स्थापना उद्देश्य था कि बच्चे को ऐसा उन्मुक्त, सुरम्य-सुरभित वातावरण मिले कि विद्यालय जाने की ललक बनी रहे और विद्यालय से घर लौटने का मन न करे। शिक्षा बोझिल न होकर सहज हो, सरल हो, बोधगम्य हो, ज्ञानवर्धक भी हो।
 
*ज्ञानदीप व्यावसायिक या निजी शिक्षण संस्था नहीं है। सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत एक ऐसा सार्वजनिक सेवाभावी संस्थान है जो समर्पित है बाल- शिक्षा और बाल-कल्याण की परियोजनाओं की पूर्ति के लिए।
 
* ज्ञानदीप प्रबन्ध समिति से सम्बद्ध हैं शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और समाज सेवा से दीर्घकाल से जुड़े व्यक्तित्व और उनकी निष्ठा, भावना और समर्पण का साकार प्रतिफल है.........ज्ञानदीप।
 
* ज्ञानदीप ने श्रेष्ठ शिक्षा को केन्द्र विंदु बनाकर और उसे संस्कृति, देशाटन तथा अनुशासन से समंवित कर जो उपलब्धियाँ अर्जित की हैं उनकी सुरभि केवल मथुरा जनपद में ही नहीं सम्पूर्ण देश में व्याप्त है। ईश्वर की कृपा और महान विभूति कार्ष्णि स्वामी '''श्री गुरुशरणानंद जी''' महाराज के वरद आशीर्वाद से ज्ञानदीप ने सागर की एक छोटी सी बूँद की भाँति ज्ञान का दीप प्रज्वलित करने का लघु प्रयास किया है।
 
==सुविधाएँ==
 
;पुस्तकालय वाचनालय
 
बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक, रोचक एवं उपयोगी साहित्य, दैनिक समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं से समृद्ध पुस्तकालय- वाचनालय उपलब्ध है।
 
;ज्ञानदीप सभागार
 
विद्यालय में लगभग 2000 बच्चों के बैठने की क्षमता वाला 41'x105' का विशाल सभागार है जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति, इन-डोर गेम्स, गर्मी तथा बरसात में प्रार्थना आदि गतिविधियों हेतु सुविधा है।
 
;क्रीड़ा उपकरण
 
बच्चों के मनोरंजन तथा स्वास्थ्य-वर्धन के लिए विधालय में विभिन्न क्रीड़ा उपकरणों की व्यवस्था है।
 
;कक्षा में नियंत्रण
 
विद्यालय के कक्षों में 'क्लोज सर्किट टी.वी.' की ऐसी व्यवस्था है कि सचिव तथा प्रधानाचार्य के कक्ष से बच्चों के पठन-पाठन तथा अनुशासन पर नियंत्रण रखा जा सके। कक्षा से किसी बच्चे को इस व्यवस्था के अंतर्गत अविलम्ब बुलाया जा सकता है।
 
;बच्चों का परिवार
 
ज्ञानदीप अन्य विद्यालयों से भिन्न बच्चों का ऐसा परिवार है जहाँ वे शिक्षक-शिक्षिकाओं से उन्मुक्त रूप से संकोच रहित होकर व्यवहार करते हैं। इससे जिस आत्मीय वातावरण की सृष्टि होती है वह बच्चों के आत्म विश्वास और इच्छा शक्ति को प्रखर बनाता है।
 
;स्वास्थ्य परीक्षण
 
विद्यालय में बच्चों के नियमित रूप से सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के अतिरिक्त कुशल चिकित्सकों द्वारा आकस्मिक एवं विशेष स्वास्थ्य परीक्षण की भी व्यवस्था है।
 
;अभिभावकों को समुचित सम्मान
 
विद्यालय में आने वाले अभिभावकों के लिए प्रधानाचार्या आदि की व्यस्तता के अवसर पर बैठने के लिए स्वागत कक्ष की व्यवस्था है।
 
;दृश्य श्रव्य उपकरण
 
प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को शिक्षाप्रद खिलौनों, चित्र, चार्ट, टी.वी., वी.सी.आर. तथा उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों को मॉडल्स तथा अन्य शैक्षिक उपकरणों के माध्यम से शिक्षण की समुचित व्यवस्था है।
 
;हवा तथा प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था
 
विद्यालय में हर अध्ययन कक्ष 4 खिड़कियों तथा 3 दरवाजों और 2-4 पंखों से सुसज्जित है जिसके कारण हवा तथा प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था है। विद्युत-विकल्प के रूप में 3 जेनरेटर भी लगाये गये हैं।
 
;पौष्टिक स्वल्पाहार
 
बच्चों को प्रतिदिन अंकुरित चने, मूँग, उबले चने, पोए, पॉपकॉर्न, मौसम के फल आदि पौष्टिक स्वल्पाहार की व्यवस्था है।
 
;विशुद्ध पेयजल
 
विद्यालय में वाटर कूलर द्वारा गर्मियों में शीतल जल उपलब्ध रहता है। तीन सबमर्सिबिल पम्प के कारण पेयजल पर्याप्त मात्रा में है।
 
;विद्यालय में बिक्री नहीं
 
विद्यालय में पुस्तकें, कॉपी, ड्रैस, टाई, बेल्ट आदि किसी सामग्री की बिक्री नहीं जाती है।
 
;निष्कासन-अधिकार
 
विद्यार्थी की अनुशासनहीनता, शिक्षण-प्रगति में अभिभावकों द्वारा सहयोग के अभाव तथा विद्यालय-नियमों का पालन न किए जाने पर विद्यालय को विद्यार्थी के निष्कासन का अधिकार होगा।
 
==प्रतिभा सम्मान==
 
;बाल प्रतिभाओं का अभिनन्दन
 
*ज्ञानदीप ने प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक स्वस्थ परम्परा की प्रतिष्ठापना करते हुए मथुरा के इतिहास में सर्वप्रथम 11 दिसम्बर 1988 को [[दिल्ली]] की लगभग 5 वर्षीय कार चालिका जिप्सा मक्कर का नागरिक अभिनन्दन किया। अभिनन्दन समारोह के मुख्य अतिथि थे मथुरा के तत्कालीन ज़िलाधिकारी डॉ. रमेश यादव।
 
*मथुरा की अनेकानेक संस्थाओं तथा प्रमुख नागरिकों द्वारा जिप्सा मक्कर को माल्यार्पण कर उपहार भेंट किये गये। इससे पूर्व नगर में कार-चालन का प्रदर्शन कर जिप्सा ने सभी को चमत्कृत कर दिया। पूना और दिल्ली की 21 किलोमीटर की मैराथन दौड़ बिना रुके, बिना थके पूर्ण करने के साथ संसार में सबसे कम आयु की धाविका होने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली 4 वर्षीय पवनपरी पायल लड्ढा का भी ज्ञानदीप द्वारा 23 दिसम्बर 1989 को भव्य नागरिक अभिनन्दन किया गया।
 
*महान संत कार्ष्णि श्री गुरुशरणानंद जी महाराज का सानिध्य इस नागरिक अभिनन्दन समारोह का सौभाग्य था। पायल लड्ढा का भी विभिन्न संस्थाओं, राजनेताओं,अधिकारियों तथा प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत-अभिनन्दन किया गया। अभिनन्दन समारोह से पूर्व पायल लड्ढा का वृन्दावन से मथुरा तक की दौड़ के समय सम्पूर्ण मार्ग में पुष्प-वर्षा कर स्वागत किया गया। उक्त दोनों ही आयोजन मथुरा के इतिहास में अभूतपूर्व थे।
 
*ज्ञानदीप के प्रतिभाशाली बाल कलाकारों ने विद्यालय रंगमंच से लेकर राष्ट्रपति भवन और प्रधान मंत्री निवास, लखनऊ तथा जयपुर के राजभवनों, नैनीताल के शैले हॉल और देश के अन्य नगरों के प्रमुख प्रेक्षागृहों में विशुद्ध ब्रज संस्कृति सम्बन्धी कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ कर सराहना प्राप्त की है।
 
*राष्ट्रपति भवन में ज्ञानदीप के बाल कलाकारों द्वारा रासलीला शैली में प्रस्तुत श्री कृष्ण लीला को देखकर तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरामन इतने भाव-विभोर हो गये कि निर्धारित समय के भी आधा घंटे बाद तक कार्यक्रम देखते रहे।
 
तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने निवास पर सम्पन्न ज्ञानदीप के बाल कलाकारों के होली कार्यक्रम से प्रभावित होकर डीग आगमन के समय उन्हें वहाँ आमंत्रित किया। इस अवसर पर श्री राजीव गाँधी तथा श्री संजय गाँधी भी उपस्थित थे।
 
*सन [[1988]] में श्री राजीव गाँधी के समक्ष कार्यक्रम प्रस्तुति के पश्चात उनके हाथ से खिलाई गई मिठाई आज भी बच्चों को याद है। आकाशवाणी के अतिरिक्त दिल्ली और लखनऊ दूरदर्शन पर मथुरा जनपद में सर्वप्रथम ज्ञानदीप के बाल कलाकारों को ही कार्यक्रम प्रस्तुति का अवसर प्राप्त हुआ है। बाल दिवस के अवसर पर चाचा नेहरू की समाधि शांति-वन में दिल्ली के कुछ विद्यालयों के अतिरिक्त केवल ज्ञानदीप के ही बच्चों को समारोह में उपस्थिति का दुर्लभ अवसर प्राप्त होता रहा है।
 
==ज्ञानदीप द्वारा उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व==
 
बाल भवन दिल्ली में वर्ष 1998 में बाल दिवस के अवसर पर पूरे देश के प्रतिभा सम्पन्न बाल कलाकारों को कार्यक्रम प्रस्तुति हेतु आमंत्रित किया गया था। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधित्व का सौभाग्य प्राप्त हुआ था ज्ञानदीप को।
 
ज्ञानदीप के बाल कलाकारों ने इस कार्यक्रम में ब्रज की परम्परागत फूलों की इन्द्रधनुषी होली प्रस्तुत कर अद्वितीय सराहना प्राप्त की। ज्ञानदीप की स्थापना के उद्देश्यों एवं परिकल्पनाओं में यह दृष्टिकोण प्रमुख था कि बच्चों को विद्यालय की चहारदीवारी से आगे अपने निकटवर्ती स्थानों, गाँव, ज़िले अन्य प्रदेशों तथा देश के प्रमुख स्थलों और उसके बाद विदेश की यात्रा भी कराई जाए। 'भ्रमण द्वारा ज्ञान दर्शन' की इस योजना के अंतर्गत पिछले वर्षों में ज्ञानदीप के बच्चों ने अपने निकटतम स्थान पुरातत्त्व संग्रहालय से प्रारम्भ कर टेलीफोन एक्सचेन्ज, रेलवे स्टेशन, वाटर वर्क्स, श्री कृष्ण जन्मभूमि, बिड़ला मन्दिर, वृन्दावन, गोवर्धन, जतीपुरा, जचौंदा, नन्द की नगरिया, छौली तथा गाँठौली गाँव और इसके बाद दूसरे चरण में महाकवि सूर की साधना स्थली परासौली, ऐतिहासिक नगरी आगरा जाते समय कीठम झील तथा रुनकता और फिर सिकन्दरा, ताजमहल, लाल क़िला आदि स्थान देखें। आगरा में आयोजित फल-फूल प्रदर्शनी तथा प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र 'अमर उजाला' के कार्यालय में कम्पोजिंग, मुद्रण, सम्पादन आदि कार्यों को देखा। सम्राट [[अकबर]] की राजधानी [[फतेहपुर सीकरी]] के विख्यात भवन तथा प्रदेश के आदर्श गाँव बरारा में आधुनिक ढंग से की जा रही खेती की पद्धतियों को निकट से देखा। वायु सेना दिवस के उपलक्ष्य में खेरिया हवाई अड्डे पर आयोजित हवाई करतब और विभिन्न प्रकार के जहाजों तथा अस्त्र-शस्त्र की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।<br />
 
जल महलों की नगरी [[डीग]] की यात्रा, [[वृन्दावन]] में प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा तथा माँ श्यामा बाई के पुण्य दर्शन, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वहाँ के दर्शनीय स्थलों का अवलोकन तथा बाल संग्रहालय के विशाल उद्यान में हज़ारों दर्शकों के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन। राजस्थान की राजधानी जयपुर की शैक्षणिक यात्रा में [[bk:राजस्थान|राजस्थान]] के राज्यपाल सरदार हुकमसिंह ने बच्चों का स्वागत किया बाल कलाकारों ने राजभवन में मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिनकी मुक्त कण्ठ से सराहना की गई। बच्चों ने बाईपास स्थित पराग दुग्ध डेरी का निरीक्षण कर दूध को 'पॉस्चुराइज' करने की प्रक्रिया समझी और दुग्ध पान किया। बच्चों ने चाचा नेहरू के जन्म दिन बाल-दिवस के अवसर पर ज़िलाधिकारी श्री ए.पी. सिंह की अध्यक्षता में जवाहर बाग में बच्चों द्वारा गुलाब के पौधों का आरोपण और सांस्कृतिक कार्यक्रम, [[bk:आगरा|आगरा]] में विशाल वाटर वर्क्स की कार्यप्रणाली का ज्ञान और [[bk:भारत|भारत]] की राजधानी दिल्ली की अनेक बार यात्रा तथा वहाँ प्रधान मंत्री श्रीमती [[bk:इंदिरा गाँधी|इंदिरा गाँधी]] की अध्यक्षता में प्रस्तुत किया भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
 
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
 
 
[[Category:शिक्षण संस्थान]][[Category:कोश]]
 
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०६:३८, २१ जून २०१२ के समय का अवतरण