"ज्ञानदीप शिक्षा भारती" के अवतरणों में अंतर

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==ज्ञानदीप शिक्षा भारती / Gyandeep Shiksha Bharti==
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प्राथमिक शिक्षा के निरंतर गिरते स्तर से चिंतित [[मथुरा]] के कुछ विचारक, चिंतक, शिक्षाविद और प्रतिष्ठित नागरिकों ने एक आदर्श बाल शिक्षा संस्था की आवश्यकता अनुभव करने पर जो चिंतन किया था उसका साकार रूप है '''ज्ञानदीप शिक्षा भारती'''।
 
==स्थापना==
 
ज्ञानदीप की स्थापना 2 जुलाई 1969 को हुई थी। बाल-शिक्षा के क्षेत्र में कुछ क्रांतिकारी प्रयोगों के साथ नये आयाम स्थापित करने के लिए।
 
==उद्देश्य==
 
*ज्ञानदीप शिक्षा भारती की स्थापना उद्देश्य था कि बच्चे को ऐसा उन्मुक्त, सुरम्य-सुरभित वातावरण मिले कि विद्यालय जाने की ललक बनी रहे और विद्यालय से घर लौटने का मन न करे। शिक्षा बोझिल न होकर सहज हो, सरल हो, बोधगम्य हो, ज्ञानवर्धक भी हो।
 
*ज्ञानदीप व्यावसायिक या निजी शिक्षण संस्था नहीं है। सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत एक ऐसा सार्वजनिक सेवाभावी संस्थान है जो समर्पित है बाल- शिक्षा और बाल-कल्याण की परियोजनाओं की पूर्ति के लिए।
 
* ज्ञानदीप प्रबन्ध समिति से सम्बद्ध हैं शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और समाज सेवा से दीर्घकाल से जुड़े व्यक्तित्व और उनकी निष्ठा, भावना और समर्पण का साकार प्रतिफल है.........ज्ञानदीप।
 
* ज्ञानदीप ने श्रेष्ठ शिक्षा को केन्द्र विंदु बनाकर और उसे संस्कृति, देशाटन तथा अनुशासन से समंवित कर जो उपलब्धियाँ अर्जित की हैं उनकी सुरभि केवल मथुरा जनपद में ही नहीं सम्पूर्ण देश में व्याप्त है। ईश्वर की कृपा और महान विभूति कार्ष्णि स्वामी '''श्री गुरुशरणानंद जी''' महाराज के वरद आशीर्वाद से ज्ञानदीप ने सागर की एक छोटी सी बूँद की भाँति ज्ञान का दीप प्रज्वलित करने का लघु प्रयास किया है।
 
==सुविधाएँ==
 
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;पुस्तकालय वाचनालय
 
बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक, रोचक एवं उपयोगी साहित्य, दैनिक समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं से समृद्ध पुस्तकालय- वाचनालय उपलब्ध है।
 
;ज्ञानदीप सभागार
 
विद्यालय में लगभग 2000 बच्चों के बैठने की क्षमता वाला 41'x105' का विशाल सभागार है जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति, इन-डोर गेम्स, गर्मी तथा बरसात में प्रार्थना आदि गतिविधियों हेतु सुविधा है।
 
;क्रीड़ा उपकरण
 
बच्चों के मनोरंजन तथा स्वास्थ्य-वर्धन के लिए विधालय में विभिन्न क्रीड़ा उपकरणों की व्यवस्था है।
 
;कक्षा में नियंत्रण
 
विद्यालय के कक्षों में 'क्लोज सर्किट टी.वी.' की ऐसी व्यवस्था है कि सचिव तथा प्रधानाचार्य के कक्ष से बच्चों के पठन-पाठन तथा अनुशासन पर नियंत्रण रखा जा सके। कक्षा से किसी बच्चे को इस व्यवस्था के अंतर्गत अविलम्ब बुलाया जा सकता है।
 
;बच्चों का परिवार
 
ज्ञानदीप अन्य विद्यालयों से भिन्न बच्चों का ऐसा परिवार है जहाँ वे शिक्षक-शिक्षिकाओं से उन्मुक्त रूप से संकोच रहित होकर व्यवहार करते हैं। इससे जिस आत्मीय वातावरण की सृष्टि होती है वह बच्चों के आत्म विश्वास और इच्छा शक्ति को प्रखर बनाता है।
 
;स्वास्थ्य परीक्षण
 
विद्यालय में बच्चों के नियमित रूप से सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के अतिरिक्त कुशल चिकित्सकों द्वारा आकस्मिक एवं विशेष स्वास्थ्य परीक्षण की भी व्यवस्था है।
 
;अभिभावकों को समुचित सम्मान
 
विद्यालय में आने वाले अभिभावकों के लिए प्रधानाचार्या आदि की व्यस्तता के अवसर पर बैठने के लिए स्वागत कक्ष की व्यवस्था है।
 
;दृश्य श्रव्य उपकरण
 
प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को शिक्षाप्रद खिलौनों, चित्र, चार्ट, टी.वी., वी.सी.आर. तथा उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों को मॉडल्स तथा अन्य शैक्षिक उपकरणों के माध्यम से शिक्षण की समुचित व्यवस्था है।
 
;हवा तथा प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था
 
विद्यालय में हर अध्ययन कक्ष 4 खिड़कियों तथा 3 दरवाजों और 2-4 पंखों से सुसज्जित है जिसके कारण हवा तथा प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था है। विद्युत-विकल्प के रूप में 3 जेनरेटर भी लगाये गये हैं।
 
;पौष्टिक स्वल्पाहार
 
बच्चों को प्रतिदिन अंकुरित चने, मूँग, उबले चने, पोए, पॉपकॉर्न, मौसम के फल आदि पौष्टिक स्वल्पाहार की व्यवस्था है।
 
;विशुद्ध पेयजल
 
विद्यालय में वाटर कूलर द्वारा गर्मियों में शीतल जल उपलब्ध रहता है। तीन सबमर्सिबिल पम्प के कारण पेयजल पर्याप्त मात्रा में है।
 
;विद्यालय में बिक्री नहीं
 
विद्यालय में पुस्तकें, कॉपी, ड्रैस, टाई, बेल्ट आदि किसी सामग्री की बिक्री नहीं जाती है।
 
;निष्कासन-अधिकार
 
विद्यार्थी की अनुशासनहीनता, शिक्षण-प्रगति में अभिभावकों द्वारा सहयोग के अभाव तथा विद्यालय-नियमों का पालन न किए जाने पर विद्यालय को विद्यार्थी के निष्कासन का अधिकार होगा।
 
==प्रतिभा सम्मान==
 
;बाल प्रतिभाओं का अभिनन्दन
 
*ज्ञानदीप ने प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक स्वस्थ परम्परा की प्रतिष्ठापना करते हुए मथुरा के इतिहास में सर्वप्रथम 11 दिसम्बर 1988 को [[दिल्ली]] की लगभग 5 वर्षीय कार चालिका जिप्सा मक्कर का नागरिक अभिनन्दन किया। अभिनन्दन समारोह के मुख्य अतिथि थे मथुरा के तत्कालीन ज़िलाधिकारी डॉ. रमेश यादव।
 
*मथुरा की अनेकानेक संस्थाओं तथा प्रमुख नागरिकों द्वारा जिप्सा मक्कर को माल्यार्पण कर उपहार भेंट किये गये। इससे पूर्व नगर में कार-चालन का प्रदर्शन कर जिप्सा ने सभी को चमत्कृत कर दिया। पूना और दिल्ली की 21 किलोमीटर की मैराथन दौड़ बिना रुके, बिना थके पूर्ण करने के साथ संसार में सबसे कम आयु की धाविका होने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली 4 वर्षीय पवनपरी पायल लड्ढा का भी ज्ञानदीप द्वारा 23 दिसम्बर 1989 को भव्य नागरिक अभिनन्दन किया गया।
 
*महान संत कार्ष्णि श्री गुरुशरणानंद जी महाराज का सानिध्य इस नागरिक अभिनन्दन समारोह का सौभाग्य था। पायल लड्ढा का भी विभिन्न संस्थाओं, राजनेताओं,अधिकारियों तथा प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत-अभिनन्दन किया गया। अभिनन्दन समारोह से पूर्व पायल लड्ढा का [[वृन्दावन]] से मथुरा तक की दौड़ के समय सम्पूर्ण मार्ग में पुष्प-वर्षा कर स्वागत किया गया। उक्त दोनों ही आयोजन मथुरा के इतिहास में अभूतपूर्व थे।
 
*ज्ञानदीप के प्रतिभाशाली बाल कलाकारों ने विद्यालय रंगमंच से लेकर राष्ट्रपति भवन और प्रधान मंत्री निवास, लखनऊ तथा [[जयपुर]] के राजभवनों, नैनीताल के शैले हॉल और देश के अन्य नगरों के प्रमुख प्रेक्षागृहों में विशुद्ध [[ब्रज]] संस्कृति सम्बन्धी कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ कर सराहना प्राप्त की है।
 
*राष्ट्रपति भवन में ज्ञानदीप के बाल कलाकारों द्वारा रासलीला शैली में प्रस्तुत श्री कृष्ण लीला को देखकर तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरामन इतने भाव-विभोर हो गये कि निर्धारित समय के भी आधा घंटे बाद तक कार्यक्रम देखते रहे।
 
तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने निवास पर सम्पन्न ज्ञानदीप के बाल कलाकारों के होली कार्यक्रम से प्रभावित होकर डीग आगमन के समय उन्हें वहाँ आमंत्रित किया। इस अवसर पर श्री राजीव गाँधी तथा श्री संजय गाँधी भी उपस्थित थे।
 
*सन 1988 में श्री राजीव गाँधी के समक्ष कार्यक्रम प्रस्तुति के पश्चात उनके हाथ से खिलाई गई मिठाई आज भी बच्चों को याद है। आकाशवाणी के अतिरिक्त दिल्ली और लखनऊ दूरदर्शन पर मथुरा जनपद में सर्वप्रथम ज्ञानदीप के बाल कलाकारों को ही कार्यक्रम प्रस्तुति का अवसर प्राप्त हुआ है। बाल दिवस के अवसर पर चाचा नेहरू की समाधि शांति-वन में दिल्ली के कुछ विद्यालयों के अतिरिक्त केवल ज्ञानदीप के ही बच्चों को समारोह में उपस्थिति का दुर्लभ अवसर प्राप्त होता रहा है।
 
==ज्ञानदीप द्वारा उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व==
 
बाल भवन दिल्ली में वर्ष 1998 में बाल दिवस के अवसर पर पूरे देश के प्रतिभा सम्पन्न बाल कलाकारों को कार्यक्रम प्रस्तुति हेतु आमंत्रित किया गया था। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधित्व का सौभाग्य प्राप्त हुआ था ज्ञानदीप को।
 
ज्ञानदीप के बाल कलाकारों ने इस कार्यक्रम में ब्रज की परम्परागत फूलों की इन्द्रधनुषी होली प्रस्तुत कर अद्वितीय सराहना प्राप्त की। ज्ञानदीप की स्थापना के उद्देश्यों एवं परिकल्पनाओं में यह दृष्टिकोण प्रमुख था कि बच्चों को विद्यालय की चहारदीवारी से आगे अपने निकटवर्ती स्थानों, गाँव, ज़िले अन्य प्रदेशों तथा देश के प्रमुख स्थलों और उसके बाद विदेश की यात्रा भी कराई जाए। 'भ्रमण द्वारा ज्ञान दर्शन' की इस योजना के अंतर्गत पिछले वर्षों में ज्ञानदीप के बच्चों ने अपने निकटतम स्थान पुरातत्त्व संग्रहालय से प्रारम्भ कर टेलीफोन एक्सचेन्ज, रेलवे स्टेशन, वाटर वर्क्स, श्री कृष्ण जन्मभूमि, बिड़ला मन्दिर, वृन्दावन, गोवर्धन, जतीपुरा, जचौंदा, नन्द की नगरिया, छौली तथा गाँठौली गाँव और इसके बाद दूसरे चरण में महाकवि सूर की साधना स्थली परासौली, ऐतिहासिक नगरी आगरा जाते समय कीठम झील तथा रुनकता और फिर सिकन्दरा, ताजमहल, लाल क़िला आदि स्थान देखें। आगरा में आयोजित फल-फूल प्रदर्शनी तथा प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र 'अमर उजाला' के कार्यालय में कम्पोजिंग, मुद्रण, सम्पादन आदि कार्यों को देखा। सम्राट [[अकबर]] की राजधानी [[फतेहपुर सीकरी]] के विख्यात भवन तथा प्रदेश के आदर्श गाँव बरारा में आधुनिक ढंग से की जा रही खेती की पद्धतियों को निकट से देखा। वायु सेना दिवस के उपलक्ष्य में खेरिया हवाई अड्डे पर आयोजित हवाई करतब और विभिन्न प्रकार के जहाजों तथा अस्त्र-शस्त्र की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।<br />
 
जल महलों की नगरी [[डीग]] की यात्रा, [[वृन्दावन]] में प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा तथा माँ श्यामा बाई के पुण्य दर्शन, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वहाँ के दर्शनीय स्थलों का अवलोकन तथा बाल संग्रहालय के विशाल उद्यान में हज़ारों दर्शकों के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन। राजस्थान की राजधानी जयपुर की शैक्षणिक यात्रा में राजस्थान के राज्यपाल सरदार हुकमसिंह ने बच्चों का स्वागत किया बाल कलाकारों ने राजभवन में मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिनकी मुक्त कण्ठ से सराहना की गई। बच्चों ने बाईपास स्थित पराग दुग्ध डेरी का निरीक्षण कर दूध को 'पॉस्चुराइज' करने की प्रक्रिया समझी और दुग्ध पान किया। बच्चों ने चाचा नेहरू के जन्म दिन बाल-दिवस के अवसर पर ज़िलाधिकारी श्री ए.पी. सिंह की अध्यक्षता में जवाहर बाग में बच्चों द्वारा गुलाब के पौधों का आरोपण और सांस्कृतिक कार्यक्रम, [[आगरा]] में विशाल वाटर वर्क्स की कार्यप्रणाली का ज्ञान और भारत की राजधानी दिल्ली की अनेक बार यात्रा तथा वहाँ प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की अध्यक्षता में प्रस्तुत किया भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
 
 
 
==ज्ञानदीप औरों की दृष्टि में==
 
ज्ञानदीप के विषय में राष्ट्रीय स्तर के संत, नेतागण,साहित्यकार, रंगकर्मी, अभिभावक और छात्र-छात्राओं की कुछ अनुभूतियाँ...
 
 
 
;श्री नारायण दत्त तिवारी उद्योग मंत्री
 
ज्ञानदीप मथुरा के बाल कलाकारों का कार्यक्रम देखकर उनकी प्रतिभा का परिचय मिला। इन्होंने राधा-कृष्ण की स्मृतियों को साकार कर दिया। ज्ञानदीप के बच्चों की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद।
 
;श्री बी. सत्यनारायण रेड्डी राज्यपाल उत्तर प्रदेश
 
ज्ञानदीप के बाल कलाकारों द्वारा जो सांस्कृतिक कार्यक्रम मेरे समक्ष प्रस्तुत किया गया था वह अत्यंत रुचिकर, कलात्मक, मनोरंजक तथा सराहनीय था जिसे देखकर मुखे अत्यधिक प्रसन्नता हुई। विद्यालय की उन्नति एवं उज्जवल भविष्य के लिए मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं।
 
;प्रो.विमल प्रसाद नेपाल स्थित भारतीय राजदूत
 
ज्ञानदीप के कलाकारों ने यहाँ जो शानदार प्रदर्शन किया उसकी जो भी प्रशंसा की जाय वह अपर्याप्त होगी। इससे हमारे देश का नाम ऊँचा हुआ।
 
;श्री अकबर अली खाँ राज्यपाल उत्तर प्रदेश
 
ज्ञानदीप द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई। बच्चों ने अत्यंत भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसकी सभी उपस्थित व्यक्तियों ने सराहना की।
 
;श्री नित्यानन्द स्वामी विधान परिषद अध्यक्ष
 
ज्ञानदीप द्वारा शिक्षा के साथ संस्कृति एवं देशाटन के समंवय द्वारा बच्चों की प्रतिभाओं के अन्नयन तथा उनकी सहज प्रवृत्तियों के विकास की दिशा में जो कीर्तिमान व महान उपलब्धियाँ अर्जित की गई हैं, वे सराहनीय हैं।
 
;डॉ. हरिकृष्ण सचिव मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश
 
मुझे मथुरा जनपद में दो वर्ष ज़िलाधिकारी के रूप में ज्ञानदीप स्कूल की विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यकलापों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ। ज्ञानदीप को मैंने एक ऐसी संस्था के रूप में पाया है जहाँ न केवल एक उच्च श्रेणी की बेसिक शिक्षा दी जा रही है बल्कि नैतिक, सांस्कृतिक एवं अन्य क्षेत्रों में भी बच्चों में प्रतिभा उन्नयन के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
 
;डॉ. शिवमंगलसिंह 'सुमन' <br />
 
सुप्रसिद्ध कवि एवं कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय,  <br />
 
ज्ञानदीप में तुलसी के चबूतर में दीपक की अर्चना प्रस्तुत करने के साथ-साथ प्रभात रश्मियों की भी प्रथम प्रदीप्त देखकर मुग्ध हो गया। साधनों के अभाव और स्थान संकोच के होते हुए भी इसकी व्यवस्था में बड़ी सुरुचिपूर्ण साधना और उत्सर्गशील निष्ठा प्रतिबिम्बित होती है। एक छोटी सी बालिका ने साज-सज्जा के साथ कृष्ण का माखन लीला नृत्य प्रस्तुत कर आश्चर्यचकित कर दिया। राष्ट्र के कोने-कोने में ऐसे ज्ञानदीप प्रज्वलित करने की आवश्यकता है। आज की व्यवस्था और अनुशासन हीनता के अन्धकार को दूर करने के लिए ऐसी ही समर्पणमयी आराधना की आवश्यकता है। मैं इस संस्था की बड़ी भावभीनी स्मृति अपने मानस में सँजोए लिए जा रहा हूँ।
 
;श्री शैलचतुर्वेदी  (सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि)
 
आज ज्ञानदीप के प्रकाश में कुछ क्षण रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इतने सीमित साधनों में की गई व्यवस्थाएं स्तुत्य हैं।
 
;श्रीमती ज्ञानवती सक्सैना सुप्रसिद्ध हिन्दी कवयित्री
 
ज्ञानदीप द्वारा प्रस्तुत आयोजन से मैं इतनी अधिक प्रभावित हुई हूँ कि प्रशंसा के लिए शब्दों का अभाव है। नन्हे शिशुओं का प्रदर्शन उच्च कोटि का भावपूर्ण एवं कलात्मकता से भरा हुआ है। आँगन में शिक्षा के साथ जो कला पनप रही है वह इतनी आकर्षक है कि मानव मन विमुग्ध रह जाता है।
 
;श्री राधेश्याम 'प्रगल्भ' (सुप्रसिद्ध कवि)
 
विद्यालय का भवन दिया 'ज्ञान', वर्तिका और इसके संचालकों का उत्साह और लगन वह स्नेह है जिससे यह वर्तिका प्रकाश दे रही है। जो स्नेह और वर्तिका का सुयोग यहाँ है वह अन्यत्र दुर्लभ है। लगता है ज्ञानदीप चतुर्दिक प्रकाश देता रहेगा।
 
;श्री सोम ठाकुर (सुप्रसिद्ध कवि)
 
ज्ञानदीप के गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होकर लगा जैसे मीठे निर्झर के सामने आ गया हूँ। यहाँ अध्यापिकाओं के स्नेहसिक्त श्रम से यह ज्ञान-दीप प्रज्वलित है। यह बच्चों के कार्यक्रमों से समझा जा सकता है। मैं संस्था की उत्तरोत्तर  उन्नति की कामना करता हूँ।
 
;डॉ. अचला नागर
 
सुप्रसिद्ध सिने कथा लेखिका-<br />
 
आज मात्र उत्सुकतावश ही मैं यहाँ आई। मेरा आना उसी प्रकार का था- जैसे कोई व्यक्ति घर की घुटन से निकल कर बाग में खिलते फूलों की महक लेने आ जाता है। और सच ही सार्थक रहा मेरा आना, इस स्कूल के प्रांगण में घुसते ही फुलवारी की महक से मुझमें ताजगी सी भर गई और जब मैं टहलती-टहलती एक-एक फूल पर झुकी और उनकी खुशबू को भीतर महसूस किया तो मेरी ऐसी इच्छा हुई कि काश मैं भी इन्हीं में से एक फूल होती। कक्षाओं में रखे रंग-बिरंगे खिलौनों को देख मेरा मन उन्हें छू कर देखने को हो गया, किंतु फिर ख्याल आया बच्चे क्या सोंचेगे? ये बिल्डिंग भी मुझे उसी तरह लुभा गई जैसे एक विशाल अट्टालिका के मुकाबले हाथ से लिपा-पुता घर। दिली तौर पर चाहती हूँ कि ये फुलवारी सदैव अपनी खुशबू बिखेरती रहे।
 
;श्री चिंतामणि शुक्ल सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा साहित्यकार-
 
ज्ञानदीप ने 25 वर्षों से शिशुओं को शिक्षा प्रदान करते हुए कीर्तिमान स्थापित किया है। शिक्षा के साथ शिशुओं में राष्ट्रीय भावना, देश प्रेम और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति यह संस्था रुचि उत्पन्न करती है।
 
==संस्मरण==
 
;सोनिया गाँधी ने कहा जय श्री कृष्ण-
 
15 नवम्बर 1999 को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा '''श्रीमती सोनिया गाँधी''' से ज्ञानदीप के बच्चों की जब भेंट हुई तो बच्चों ने 'जय श्री कृष्ण' कहकर उनका अभिवादन किया। इसके प्रत्युत्तर में श्रीमती सोनिया गाँधी ने भी जब 'जय श्री कृष्ण' कहा तो उसे सुनकर बच्चों को सुखद आश्चर्य हुआ। प्राय: तनावग्रस्त सी मुद्रा में दिखने वाली श्रीमती गाँधी ने सहज सरल रूप से हास-परिहास करते हुए काफ़ी समय बच्चों के साथ बिताया और इस भ्रम को भी तोड़ा कि वह केवल लिखी हुई हिन्दी ही बोल पाती हैं। ज्ञानदीप की एक बालिका निधि शर्मा ने जब उनसे पूछा कि क्या आप हमारे स्कूल आ सकती हैं तो उन्होंने तत्क्षण बिना अटके उत्तर दिया- 'आप बुलायेंगे तो आ सकती हूँ।' उन्होंने बच्चों से पूछा कि क्या वे माखन खाते हैं तो सभी हँस पड़े।
 
;मथुरा के पेड़े लाये हो
 
ज्ञानदीप के बच्चों की 14 नवम्बर 1999 को जब प्रधान मंत्री '''श्री अटल विहारी वाजपेयी''' से भेंट हुई तो उन्होंने मधुर-मुस्कान के साथ बच्चों से कहा 'मथुरा से आये हो तो हमारे लिए मथुरा के पेड़े लाये हो?' यह सुनते ही ज्ञानदीप की प्रधानाचार्य सुश्री सविता भार्गव ने उन्हें पेड़ों का प्रसाद भेंट किया। प्रधान मंत्री श्री वाजपेयी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण और पेड़ों से ही तो [[मथुरा]] की पहचान है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे खूब पढ़ें खूब चढ़ें और जहाँ भी अन्याय हो उसके विरुद्ध अड़ें और लड़ें।
 
==सरस्वती प्रतिमा==
 
विद्यालय विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का मन्दिर है। ज्ञानदीप में इसी भावना से श्रद्धा और आस्था से माँ सरस्वती जी की एक भव्य प्रतिमा प्रांगण के मध्य प्रतिष्ठापति की गई है। प्रतिमा के चारों ओर 8 प्रकाश के स्तम्भ हैं तथा नीचे घास से आच्छादित मंच है। मनोरम पॉर्क के रूप में विकसित यह स्थल अत्यंत आकर्षक है। माँ सरस्वती के सानिध्य में बच्चे यहाँ प्रात: कालीन प्रार्थना के द्वार श्रद्धापूर्वक उनका नमन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
 
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
 
 
[[Category:शिक्षण संस्थान]][[Category:कोश]]
 
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०६:३८, २१ जून २०१२ के समय का अवतरण