"दीर्घ विष्णु मन्दिर" के अवतरणों में अंतर

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इस मन्दिर की छत गुम्बदनुमा, आधार आयताकार व ऊँचा कुरसी आसार है । पूर्वमुखी द्वार में                                  प्रवेश करने पर खुला हुआ आंगन दिखाई देता है । पश्चिम में जगमोहन (30’ X 30’) के साथ आंगन निर्मित है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तमाल किया गया है। जगमोहन के ऊपर निर्मित गुम्बद पर कमल की आकृति सुगठित है । मन्दिर को क्रमबद्ध सोलह पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है ।  
 
इस मन्दिर की छत गुम्बदनुमा, आधार आयताकार व ऊँचा कुरसी आसार है । पूर्वमुखी द्वार में                                  प्रवेश करने पर खुला हुआ आंगन दिखाई देता है । पश्चिम में जगमोहन (30’ X 30’) के साथ आंगन निर्मित है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तमाल किया गया है। जगमोहन के ऊपर निर्मित गुम्बद पर कमल की आकृति सुगठित है । मन्दिर को क्रमबद्ध सोलह पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है ।  
 
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चित्र:Shiv Temple-Dirgh Vishnu Temple Mathura-7.jpg|[[शिव]] मंदिर, [[दीर्घ विष्णु मन्दिर]], [[मथुरा]]<br /> Shiv Temple, Dirgh Vishnu Temple, Mathura
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१०:२५, ११ फ़रवरी २०१० का अवतरण

स्थानीय सूचना
दीर्घ विष्णु मन्दिर

Dirgh-Vishnu-Mathura-1.jpg
मार्ग स्थिति: यह मन्दिर घीया मण्डी, खारी कुंआ, मथुरा में स्थित है ।
आस-पास: द्वारिकाधीश मन्दिर, गोवर्धननाथ जी मन्दिर, बिहारी जी मन्दिर, श्रीनाथ जी भण्डार मन्दिर, गोपी नाथ जी मन्दिर, सती बुर्ज, विश्राम घाट, स्वामी घाट
पुरातत्व: निर्माणकाल- सन् 1807
वास्तु:
स्वामित्व:
प्रबन्धन: राजा पटनीमल धर्मार्थ ट्रस्ट
स्त्रोत: इंटैक
अन्य लिंक:
अन्य:
सावधानियाँ:
मानचित्र:
अद्यतन: 2009

दीर्घ विष्णु मन्दिर / Dirgha Vishnu Temple

यह मंदिर खारी कूआ, घीया मण्डी, मथुरा में स्थित है।

इतिहास

वराह पुराण, नारद पुराण, गर्ग संहिता व श्रीमद् भागवत् में इस मन्दिर के विष्णु घाट के किनारे पर होने की पुष्टी हुई है । कहा जाता है कि मूल मंदिर का अस्तित्व अब नहीं है, परंतु उपस्थित मंदिर बनारस के राजा पतनीमल द्वारा निर्मित है। इसका निर्माण भगवान कृष्ण के छर्भुजा स्वरूप को स्मरण करने व यमुना को तीर्थ राज प्रयाग से बचाने हेतु किया गया था । इस मन्दिर का मूल नाम बाल कृष्ण के विराट रूप को दर्शाता है जो उन्होंने कंस से युद्ध करने के लिए धरा था ।

वास्तु

इस मन्दिर की छत गुम्बदनुमा, आधार आयताकार व ऊँचा कुरसी आसार है । पूर्वमुखी द्वार में प्रवेश करने पर खुला हुआ आंगन दिखाई देता है । पश्चिम में जगमोहन (30’ X 30’) के साथ आंगन निर्मित है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तमाल किया गया है। जगमोहन के ऊपर निर्मित गुम्बद पर कमल की आकृति सुगठित है । मन्दिर को क्रमबद्ध सोलह पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है ।

वीथिका

अन्य लिंक

साँचा:Mathura temple