"द्वैताद्वैतवाद" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{Menu}} ==द्वैताद्वैतवाद== इस संप्रदाय को 'हंस संप्रदाय', 'देवर्षि संप्र...) |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
||
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ३ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति ६: | पंक्ति ६: | ||
===देखें:- [[निम्बार्क संप्रदाय]]=== | ===देखें:- [[निम्बार्क संप्रदाय]]=== | ||
− | [[ | + | [[Category:कोश]] |
− | [[ | + | [[Category:धर्म-संप्रदाय]] |
− | [[ | + | [[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:दर्शन]] |
__INDEX__ | __INDEX__ |
०१:५४, ५ मार्च २०१० के समय का अवतरण
द्वैताद्वैतवाद
इस संप्रदाय को 'हंस संप्रदाय', 'देवर्षि संप्रदाय', अथवा 'सनकादि संप्रदाय' भी कहा जाता है। मान्यता है कि सनकादि ऋषियों ने भगवान के हंसावतार से ब्रह्म ज्ञान की निगूढ़ शिक्षा ग्रहण करके उसका प्रथमोपदेश अपने शिष्य देवर्षि नारद को दिया था। इसके ऐतिहासिक प्रतिनिधि हुए निम्बार्काचार्य इससे यह निम्बार्क संप्रदाय कहलाता है।
संप्रदाय का सिद्धान्त
इस संप्रदाय का सिद्धान्त 'द्वैताद्वैतवाद' कहलाता है। इसी को 'भेदाभेदवाद' भी कहा जाता है। भेदाभेद सिद्धान्त के आचार्यों में औधुलोमि, आश्मरथ्य, भतृ प्रपंच, भास्कर और यादव के नाम आते हैं। इस प्राचीन सिद्धान्त को 'द्वैताद्वैत' के नाम से पुन: स्थापित करने का श्रेय निम्बार्काचार्य को जाता है।