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[[कठोपनिषद]] के अनुसार नचिकेता [[वाजश्रवा]] नामक एक धार्मिक राजा का पुत्र था। राजा ने अनेक यज्ञ किए और विपुल धनसंपदा दान में दी। अपनी दानशीलता पर हर्षित पिता से बालक नचिकेता ने कहा- 'आपने अभी सब कुछ दान में नहीं दिया। अभी मैं बचा हूं। मुझे किसे दे रहे हैं?' उसके बार बार यह पूछ्ने पर क्रुध्द पिता ने कहा- 'तुझे [[यम]] को दिया।' बालक यम के यहाँ भेज दिया गया। वहाँ उसके व्यवहार से प्रसन्न होकर यम ने उससे वर मांगने के लिए कहा। बालक हर बार 'कुछ नहीं' कहता रहा। उसके इस नकारने के कारण ही उसका नाम 'नचिकेता' पड़ा। प्रसन्न [[यमराज]] ने उसे ब्रह्मविद्या का दान दिया।
 
[[कठोपनिषद]] के अनुसार नचिकेता [[वाजश्रवा]] नामक एक धार्मिक राजा का पुत्र था। राजा ने अनेक यज्ञ किए और विपुल धनसंपदा दान में दी। अपनी दानशीलता पर हर्षित पिता से बालक नचिकेता ने कहा- 'आपने अभी सब कुछ दान में नहीं दिया। अभी मैं बचा हूं। मुझे किसे दे रहे हैं?' उसके बार बार यह पूछ्ने पर क्रुध्द पिता ने कहा- 'तुझे [[यम]] को दिया।' बालक यम के यहाँ भेज दिया गया। वहाँ उसके व्यवहार से प्रसन्न होकर यम ने उससे वर मांगने के लिए कहा। बालक हर बार 'कुछ नहीं' कहता रहा। उसके इस नकारने के कारण ही उसका नाम 'नचिकेता' पड़ा। प्रसन्न [[यमराज]] ने उसे ब्रह्मविद्या का दान दिया।
 
==महाभारत के अनुसार==
 
==महाभारत के अनुसार==
 
[[महाभारत]] में नचिकेता को [[उद्दालक]] ॠषि का पुत्र बताया गया है। एक बार ॠषि पूजा की सामग्री नदी के तट पर भूल आये। उन्होंने पुत्र को लाने के लिए भेजा। पर वह वहां से खाली हाथ लौट आया। यह देखकर ॠषि को क्रोध आ गया और उन्होंने श्राप दिया कि 'तुझे यम का दर्शन हो।' इससे नचिकेता का शरीर तत्काल प्राणहीन हो गया। अब उद्दालक को अपने श्राप पर बड़ा पश्चाताप हुआ और वे विलाप करने लगे। दूसरे दिन नचिकेता पुनर्जीवित हो गया और उसने पिता को यमलोक के अनुभव सुनाये।
 
[[महाभारत]] में नचिकेता को [[उद्दालक]] ॠषि का पुत्र बताया गया है। एक बार ॠषि पूजा की सामग्री नदी के तट पर भूल आये। उन्होंने पुत्र को लाने के लिए भेजा। पर वह वहां से खाली हाथ लौट आया। यह देखकर ॠषि को क्रोध आ गया और उन्होंने श्राप दिया कि 'तुझे यम का दर्शन हो।' इससे नचिकेता का शरीर तत्काल प्राणहीन हो गया। अब उद्दालक को अपने श्राप पर बड़ा पश्चाताप हुआ और वे विलाप करने लगे। दूसरे दिन नचिकेता पुनर्जीवित हो गया और उसने पिता को यमलोक के अनुभव सुनाये।
  
 
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१३:३५, २९ नवम्बर २००९ का अवतरण

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नचिकेता / Nachiketa

कठोपनिषद के अनुसार नचिकेता वाजश्रवा नामक एक धार्मिक राजा का पुत्र था। राजा ने अनेक यज्ञ किए और विपुल धनसंपदा दान में दी। अपनी दानशीलता पर हर्षित पिता से बालक नचिकेता ने कहा- 'आपने अभी सब कुछ दान में नहीं दिया। अभी मैं बचा हूं। मुझे किसे दे रहे हैं?' उसके बार बार यह पूछ्ने पर क्रुध्द पिता ने कहा- 'तुझे यम को दिया।' बालक यम के यहाँ भेज दिया गया। वहाँ उसके व्यवहार से प्रसन्न होकर यम ने उससे वर मांगने के लिए कहा। बालक हर बार 'कुछ नहीं' कहता रहा। उसके इस नकारने के कारण ही उसका नाम 'नचिकेता' पड़ा। प्रसन्न यमराज ने उसे ब्रह्मविद्या का दान दिया।

महाभारत के अनुसार

महाभारत में नचिकेता को उद्दालक ॠषि का पुत्र बताया गया है। एक बार ॠषि पूजा की सामग्री नदी के तट पर भूल आये। उन्होंने पुत्र को लाने के लिए भेजा। पर वह वहां से खाली हाथ लौट आया। यह देखकर ॠषि को क्रोध आ गया और उन्होंने श्राप दिया कि 'तुझे यम का दर्शन हो।' इससे नचिकेता का शरीर तत्काल प्राणहीन हो गया। अब उद्दालक को अपने श्राप पर बड़ा पश्चाताप हुआ और वे विलाप करने लगे। दूसरे दिन नचिकेता पुनर्जीवित हो गया और उसने पिता को यमलोक के अनुभव सुनाये।